Last Updated on September 30, 2022 by Jivansutra

 

Change Yourself: Personality Story in Hindi

 

“व्यक्तित्व दरवाजों को खोल तो सकता है, लेकिन केवल चरित्र ही उन्हें खुला रख सकता है।”
– एल्मेर जी. लेटरमैन

 

पिछले लेख Personality Meaning in Hindi में हमने आपको व्यक्तित्व के वास्तिवक अर्थ और उसकी परिभाषा के बारे में बताया था और एक Magnetic Personality कैसे बनायी जाय, इसके बारे में भी हमने 20 Personality Development Tips in Hindi में विस्तार से बताया था। आज हम आपको एक Inspirational Story के माध्यम से बतायेंगे कि Personality को सही आकार किस तरह से दिया जाय।

सदाशिव ब्रंहोद्र सरस्वती का व्यक्तित्व

18वीं सदी मे दक्षिण भारत के तमिलनाडु मे एक बडे प्रसिद्ध व ज्ञानी योगी हुए हैं जिनका नाम है सदाशिव ब्रंहोद्र सरस्वती। यह घटना उस समय की है जब वे अपने गुरू के आश्रम मे वेदान्त का अध्ययन कर रहे थे। अनका सारा समय अध्ययन, मनन और तपस्या मे बीतता था। एक बार एक प्रसिद्ध विद्वान पंडित महाशय आश्रम मे आये। अचानक किसी कारणवश उनमे और सदाशिव मे Debate यानी शास्त्रार्थ चल पडा।

थोडे ही समय मे स्वामी सदाशिव ने अपनी Extraordinary Knowledge के बल पर उनके तर्को को काट दिया और उन्हें पराजित कर दिया। पंडित महाशय क्षमा मॉगकर चले गये। अपनी इस जीत से उत्साहित होकर सदाशिव स्वामी ने यह घटना इस आशा से अपने गुरू को सुनायी कि शायद वे शाबासी देंगे, लेकिन हुआ ठीक इसका उल्टा।

उनके गुरू ने कठोर शब्दों मे उन्हें डॉटा। उन्होने कहा- ‘‘सदाशिव! श्रेष्ठ विचार तभी उचित हैं, जब वे एक उच्चस्तरीय चरित्र का निर्माण करें और एक उच्चस्तरीय चरित्र तभी सार्थक है, जब वह श्रेष्ठ आचरण मे बदल जाये। तुमने वेदान्त का अध्ययन तो किया, पर एक सच्चे साधक और योगी जैसा चरित्र नही बना सके और न ही अपने आचरण को उस प्रकार से ठीक कर सके।

इसी कारण से अध्ययन और मनन के प्रति अभी तक किये गये तुम्हारे सारे प्रयास व्यर्थ हैं। उनके गुरू के इन शब्दों ने उनके झूठे अभिमान को कुचलकर रख दिया। अत्यंत विनम्रता से उन्होने पूछा – “गुरूदेव! फिर मै एक श्रेष्ठ व्यक्तित्व का निर्माण किस प्रकार करूँ”?

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Hindi Story on Personality Development

Character Building के लिए एक Clear Outline बनाये

उनके गुरू ने उत्तर दिया – “बेटा! एक श्रेष्ठ व्यक्तित्व का निर्माण करने के लिये पहले अपने चरित्र को श्रेष्ठ बनाओ और इसके लिए सबसे पहले इसकी एक स्पष्ट रूपरेखा, यानी एक Clear Outline अपने मस्तिष्क मे बनाओ।” जैसे कि –

1. एक Excellent Personality develop करने के लिए किसी भी व्यक्ति के लिए यह बहुत ही आवश्यक है कि उसका प्रत्येक क्षण Noble Thinking मे बीते।

2. दूसरा महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि आपके Goal के अलावा दूसरा कोई Idea या Thought आपके Mind मे प्रवेश न करे।

3. तीसरी बात यह है कि Purposeful Thinking यानी उददेश्यपूर्ण चिंतन की तीव्रता लगातार बरकरार रखी जाय।

इसके साथ-साथ श्रेष्ठ विचारों का चिंतन-मनन भी लगातार चलना चाहिए। इस प्रकार के Deep Thoughts से ही ऐसी Personality विकसित हो पाएगी जो हर व्यक्ति को अपनी ओर Attract कर ले। फिर गुरूदेव ने चेताते हुए कहा – “पर याद रहे, चिंतन-मनन का उददेश्य अपनी स्वयॅ की Personality को Excellent Shape मे ढालना है, न कि दूसरों पर अपनी धाक जमाकर अपने Ego को Satisfy करना।

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How to Modify Personality in Hindi कैसे बदलें व्यक्तित्व

Unnecessary Argument इसमे बडी बाधा है और इसे रोककर ही एक नया चरित्र ढाला जा सकता है। इस प्रकार का चरित्र न केवल शरीर की प्रकृति को शुद्ध और प्रकाशित कर देता है, बल्कि व्यक्तित्व विकास के नये आयामों के दरवाजे भी खोल देता है। इसी कारण से हमारे ऋषियों ने Body और Sensory Organs को भी Character की Definition मे शामिल किया है।

आचरण के विषय मे बताते हुए, उनके गुरू ने कहा कि यह Character की तरह Totally Transparent और Spotless होना चाहिए, फिर चाहे इसके लिए किसी को कितने ही कष्टों और परीक्षाओं से गुजरना पडे। क्योंकि यह आचरण ही है जिसके जरिये आपकी Personality की Deep Layers Express होती हैं। यही नही, श्रेष्ठ आचरण किसी भी व्यक्ति की सामाजिक छवि के लिए बहुत जरूरी है।

अपने गुरू की इन Important Teachings को गहराई से अपने दिल में धारण करके सदाशिव स्वामी ने फिर एकांत मे बडी कठोर साधना की और अपनी Splendid Life से अनेको को रास्ता दिखाया। इसीलिए जो लोग दूसरों को मार्ग दिखाने की इच्छा रखते हो या खुद इस रास्ते पर चलना चाहते हों, तो उन्हे इस बात का दृढ निश्चय करना होगा कि वे अपनी Personality को नये ढॉचे मे ढाल लें और अपना Life Aim हमेशा अपने सामने रखें।

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“अच्छाई का संबंध चरित्र से है – अखंडता, ईमानदारी, दयालुता, उदारता, नैतिक साहस, और उसी प्रकार के अन्य। अन्य किसी भी चीज़ से ज्यादा, यह वह है कि कैसे हम दूसरे लोगों से बर्ताव करते हैं।”
– डेनिस प्रगेर

 

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