Last Updated on November 1, 2018 by Jivansutra

 

Motivational Bodh Katha in Hindi

 

“जीवन का वास्तविक सौंदर्य केवल सत्य के प्रकाश में ही देखा जा सकता है।”
– हेनरी डेविड थोरो

 

Leo Tolstoy Story in Hindi

वार एंड पीस और एना करेनिना जैसे उपन्यासों के रचयिता महान रूसी लेखक लियो टॉलस्टॉय की ईश्वर में अनन्य श्रद्धा थी। वे अक्सर प्रातः काल की प्रार्थना के लिये चर्च जाया करते थे। एक दिन वह यह सोचकर कुछ जल्दी चर्च के लिये निकल गये कि आज शांत वातावरण में अच्छी तरह से प्रार्थना कर सकूँगा। वहाँ पहुँचने पर टॉलस्टॉय आश्चर्यचकित रह गये।

क्योंकि एक व्यक्ति जो उनसे भी पहले आया हुआ था, आँखें बंद करके प्रार्थना कर रहा था, “हे भगवान! मुझ पापी को क्षमा करिये, मैंने अपने जीवन में इतने ज्यादा पाप किये हैं कि उन्हें कहने में भी मुझे लज्जा आ रही है, लेकिन आप सब जानते हैं।” जब टॉलस्टॉय ने उस व्यक्ति की प्रार्थना सुनी तो वे सोचने लगे कि यह व्यक्ति वास्तव में कितना महान है।

जो सच्चे ह्रदय से परमात्मा के सामने अपने अपराधों को स्वीकार करते हुए उनके लिये पश्चाताप कर रहा है। आज यदि किसी व्यक्ति को कुछ कह दिया जाय तो वह गुस्से में मारने को दौड़ता है और एक यह इंसान है जो अपने आप को ही अपराधी मान रहा है। जब टॉलस्टॉय उस व्यक्ति को देखने की इच्छा से उसके पास गये तो वह उसे पहचान गये।

वह उसी नगर का एक धनी और प्रसिद्द व्यक्ति था। जैसे ही उसने प्रार्थना समाप्त करके अपनी आँखे खोली तो उसने टॉलस्टॉय को खड़े देखा। उन्हें देखते ही वह घबराकर कहने लगा, “महाशय कहीं आपने मेरी प्रार्थना तो नहीं सुन ली है। टॉलस्टॉय ने सहज ही उत्तर दिया, “जी हाँ, और आपकी ईश्वरनिष्ठा और सच्चाई देखकर मुझे बड़ी प्रसन्नता हो रही है।

आज तक मैंने किसी भी व्यक्ति को इस तरह से अपने अपराधों को स्वीकार करते नहीं देखा था।” उनकी बात सुनकर वह व्यक्ति नाराजगी जाहिर करते हुए टॉलस्टॉय से बोला, “वह बातें सिर्फ मेरे और परमेश्वर के बीच की थीं। मेरी उन्हें किसी अन्य व्यक्ति को सुनाने की इच्छा नहीं थी। अब जब तुमने वे बातें सुन ही लीं है तो उन्हें किसी दूसरे से बिल्कुल मत कहना, वरना यह तुम्हारे लिये कतई अच्छा नहीं होगा।”

उसकी बातें सुनकार टॉलस्टॉय हक्के-बक्के रह गये। उन्होंने उस आदमी से कहा, “पर अभी-अभी तो आप कह रहे थे कि आपने इतने अधिक पाप किये हैं…।” उनकी बात के समाप्त होने के पहले ही उस व्यक्ति ने कहा “हाँ, लेकिन वे बातें मैंने सिर्फ भगवान को बताने के लिये कहीं थीं, दुनियावालों के लिये नहीं।” इतना कहकर वह आदमी चला गया।

टॉलस्टॉय उसकी बातें सुनकर स्तब्ध रह गये। वे सोचने लगे यह दुनिया भी कितनी विचित्र है। जहाँ इंसान दूसरे लोगों से तो डरता है, लेकिन भगवान से नहीं। लोग ईश्वर को भी बस एक ऐसी सत्ता समझते हैं जो थोड़ी सी चापलूसी से खुश होकर उनके हर अपराध को क्षमा कर देगा। पर वे यह नहीं जानते है कि जो दुनिया के सामने अपनी सच्चाई नहीं प्रकट कर सकता, वह भगवान के सामने कैसे सच्चा बन पायेगा।”

“हर कोई सच के बारे में बात करता है, लेकिन कुछ ही इस पर अटल रहते हैं।”
– जॉर्ज बाकली

 

Comments: आशा है यह कहानी आपको पसंद आयी होगी। कृपया अपने बहुमूल्य सुझाव देकर हमें यह बताने का कष्ट करें कि जीवनसूत्र को और भी ज्यादा बेहतर कैसे बनाया जा सकता है? आपके सुझाव इस वेबसाईट को और भी अधिक उद्देश्यपूर्ण और सफल बनाने में सहायक होंगे। एक उज्जवल भविष्य और सुखमय जीवन की शुभकामनाओं के साथ!

प्रिय मित्र, उम्मीद है आपको आर्टिकल काफी अच्छा लगा होगा। हमने इस लेख को लिखने में अपना काफी वक्त लगाया है। कितना अच्छा हो अगर आप भी अपना थोडा सा सहयोग हमें दें और इस लेख को सोशल मिडिया पर शेयर करें। हमें बस आपके दो मिनट चाहियें। उम्मीद है आप इंकार नहीं करेंगे।