Aladdin and Princess Story in Hindi
इस तरह अलादीन और उसकी माँ के दिन बड़े मजे से कट रहे थे। लेकिन दोनों को अब भी एक चीज की कमी हमेशा खटकती रहती थी और वह कमी थी – एक जीवनसाथी की। अलादीन की माँ ने उससे कई बार विवाह करने के लिये कहा, पर वह हर बार यही कहकर शादी के लिये मना कर देता – “माँ अगर मै शादी करूँगा, तो बस यहाँ की खूबसूरत शहजादी नूरमहल से और किसी से नहीं।” अलादीन की बातें सुनकर उसकी माँ उसे समझाते हुए कहती –
“बेटा! शहजादी का ख्याल अपने दिल से निकाल दें। हमारी ऐसी हैसियत कहाँ है, जो उस अमीरजादी को अपने घर की बहू बना सकें। जरा अपनी झोंपड़ी की तरफ तो देख।” लेकिन अलादीन नहीं माना। उसके दिमाग में एक युक्ति आयी। उसने चिराग के जिन्न से कहा -“मेरे लिये एक बेहद सुन्दर महल बना दो, जिसमे कई नौकर-चाकर हों और किसी भी चीज की कमी न हो।” अलादीन का हुक्म सुनते ही जिन्न अपने काम पर लग गया।
रात-रात में उसने एक विशाल और सुन्दर महल का निर्माण कर दिया, जो हर तरह से बेजोड़ था। फिर अलादीन ने अपनी माँ से कहा – माँ! अब तुम बादशाह के पास जाओ और मेरे लिये शहजादी का हाथ माँगना।” अपनी माँ के साथ अलादीन ने कई नौकर-चाकर भी भेजे जिनके हाथों में सोने-चाँदी और बेशकीमती हीरे-जवाहरात से भरे थाल थे। जब अलादीन की माँ ने दरबार में बादशाह के सामने अपना प्रस्ताव रखा, तो वह हँसते हुए कहने लगा –
Aladdin and Princess Story in Hindi
“ऐ बुढिया! क्या तुझे पता है, तू क्या कह रही है? जरा अपनी हैसियत तो देख!” फिर अलादीन की माँ, साथ लाये बेशकीमती नगीने, बादशाह के सामने रखते हुए बोली – “हुजूर! मेरा बेटा एक बड़ा व्यापारी है और उसने यह कीमती नगीने शहजादी के लिये सिर्फ तोहफे में भेजे हैं।” अगर आप इस शादी की इजाजत दें दे, तो शहजादी को जिंदगी में किसी चीज की कमी न रहेगी।”
जब बादशाह ने इतने सारे बहुमूल्य हीरे-जवाहरात देखे, तो वह सोचने लगा – “ऐसे नगीने तो मेरे पास भी नहीं है। जरुर इसका बेटा बहुत बड़ा व्यापारी है। जो आदमी सिर्फ नजराने के तौर पर इतनी कीमती दौलत भेंट कर सकता है, वह वास्तव में कितना अमीर होगा?” बादशाह ने ख़ुशी-खुशी दोनों की शादी की हामी भर दी। इसके कुछ ही दिन बाद शहजादी नूरमहल और अलादीन का ब्याह हो गया। दोनों हंसी-खुशी जिंदगी बिताने लगे।
इधर एक दिन जादूगर सेनसेन के मन में अचानक यूँ ही ख्याल आया कि देखूँ चिराग कहाँ है और अलादीन जिन्दा भी है या वहीँ मर-खप गया है? जादूगर ने अपने जादू से जो देखा, उसे देखकर उसका खून खौल उठा। उसे सपने में भी उम्मीद नहीं थी कि अलादीन की किस्मत इतना सुखद मोड़ भी ले सकती है। वह बदले की आग में जल उठा और उसी समय चिराग हथियाने अफगानिस्तान के लिये निकल पड़ा।
अलादीन और शहजादी की कहानी
उसने फिर से सौदागर का भेष बनाया और अलादीन के महल से बाहर जाने का इंतजार करने लगा। जैसे ही अलादीन सैर करने के लिये महल से निकलकर दूर गया, वैसे ही जादूगर ने अपना छल शुरू कर दिया। उसने फेरीवाले का भेष बनाया और रंग-बिरंगे चिरागों को एक टोकरी में रखकर, सीधे महल के दरवाजे पर जा पहुँचा। वहाँ पहुँचकर वह जोर-जोर से बोलने लगा – “नये चिराग ले लो, पुराने चिराग दे दो। पुराना चिराग लाओ और नया घर ले जाओ।”
उसकी आवाज शहजादी और दासियों ने भी सुनी। उन्होंने उसकी बेवकूफी पर ठहाके लगाये और अलमारी में रखे पुराने जादुई चिराग को, एक दासी के हाथों भेजकर नया चिराग खरीद लिया। जादुई चिराग के हाथ में आते ही जादूगर की आँखे चमक उठी। उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। उसने तुरंत चिराग घिसा और जिन्न को हुक्म दिया – “तुरंत इस महल को यहाँ से उठाकर, अफ्रीका में मेरे घर के पास पहुंचाओं।”
जिन्न ने तुरंत ही महल को उठाकर, हजारों किमी दूर अफ्रीका में पहुँचा दिया। लेकिन यह सब कुछ इतनी जल्दी हुआ कि महल के अन्दर मौजूद किसी भी इन्सान को इस बात का पता नहीं चला, यहाँ तक कि शहजादी को भी नहीं! शाम को जब अलादीन वापस लौटा, तो उसे कुछ भी नजर नहीं आया। अपना सब कुछ लुटा जानकर, वह दहाड़े मार-मारकर रोने लगा।
अलादीन और खतरनाक जादूगर की कहानी
फिर उसने अँगूठी के जिन्न की मदद से पता लगा लिया कि महल और शहजादी को दुष्ट जादूगर ले गया है। जब उसने जिन्न से दोनों को वापस लाने की प्रार्थना की, तो वह बोला – “मेरे आका! न तो मै आपका महल यहाँ ला सकता हूँ और न ही चिराग के जिन्न का मुकाबला कर सकता हूँ, क्योंकि वह मुझसे बहुत ताकतवर है। हाँ अगर आप चाहे, तो आपको आपके महल तक पहुँचा सकता हूँ।”
अलादीन के कहने पर जिन्न ने उसे अफ्रीका में महल की छत पर पहुँचा दिया। रात के समय अलादीन पहरेदारों को चकमा देते हुए चुपचाप शहजादी के पास आया। दोनों एक-दूसरे को देखकर रोने लगे। फिर शहजादी ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा – “मेरे सरताज! मुझे यहाँ से ले चलो। क्योंकि कल वह दुष्ट जादूगर मुझसे जबरदस्ती शादी करने जा रहा है और मै यह हरगिज नहीं सह सकती।”
अलादीन ने शहजादी को दिलासा देते हुए एक युक्ति बतायी और उसके हाथों में कुछ दिया, जिससे शहजादी खुश हो गयी। फिर अलादीन उसी कमरे में छुप गया। अगले दिन जब जादूगर शहजादी के पास आया और उसने नूरमहल को दुल्हन के रूप में खूब सजे-संवरे देखा तो वह बड़ा खुश हुआ। जादूगर बोला – “अच्छा हुआ जो तुमने मेरी बात मान ली। अब बताओं तुम्हे क्या चाहिये, क्योंकि हमारे यहाँ शादी की रात दुल्हन को तोहफा देने की परंपरा है।”
ऐसे बचाया अलादीन ने शहजादी को
शहजादी जादूगर के क़दमों में झुकते हुए बोली – “हुजूर! अगर आपकी इजाजत हो, तो क्या मै अपने हाथों से आपको शराब के एक-दो जाम पिला सकती हूँ।” चूँकि जादूगर ने आज खूब शराब पी रखी थी, इसीलिये वह शहजादी की चाल को नहीं समझ पाया। इधर तो शराब का नशा और उधर शहजादी की खूबसूरती, दोनों ने उसे मदहोश बना रखा था। उसने चहकते हुए जाम पिलाने की इजाजत दे दी। शहजादी तो कब से इसी इंतजार में थी।
उसने जहर मिलाकर रखी हुई शराब की बोतल उठायी और एक के बाद एक कई जाम जादूगर को पिला दिये। जाम पीते-पीते ही जादूगर बेहोश होने लगा और जैसे ही जहर ने अपना रंग दिखाया, उसका काम तमाम हो गया। जादूगर को मरा जानकर अलादीन और शहजादी खुशी से फूले नहीं समाये। फिर अलादीन ने जादूगर की जेब में रखे चिराग को बाहर निकाला और उसे घिसकर जिन्न को पुकारा।
अलादीन के हुक्म पर जिन्न ने महल और उन दोनों को अफगानिस्तान में वापस उसी स्थान पर पहुँचा दिया, जहाँ वह पहले खड़ा था। अलादीन और उसके गायब महल की खबर, तुरंत जंगल की आग की तरह, सारे शहर में फ़ैल गयी। बादशाह तक भी यह खबर पहुंची और वह भी अपनी बेटी और दामाद को देखने आये। जब अलादीन ने सारी आपबीती सुनाई तो बादशाह को उस पर बड़ा गर्व हुआ। अलादीन और शहजादी फिर से खुशी-खुशी अपनी जिंदगी बिताने लगे।