Last Updated on July 20, 2019 by Jivansutra

 

Aladdin and The Magic Lamp Story in Hindi

 

“अलादीन का जादुई चिराग, प्रसिद्ध पुस्तक ‘द थाउजेंड नाइट्स’ का ही एक किस्सा है। अलादीन की कहानी, साहित्य की कुछ सबसे प्रसिद्ध कहानियों में से एक है, जिसे बच्चे-बच्चे ने पढ़ा है। चूँकि मूल कहानी बहुत लम्बी है (लगभग 100 पृष्ठ), इसीलिये हम आपको इस कहानी का सारांश ही बतायेंगे।”

 

बहुत पुरानी बात है। सदियों पहले अफगानिस्तान के एक छोटे से गाँव में मुस्तफा नाम का एक गरीब आदमी रहता था। उसके परिवार में बस तीन ही लोग थे। एक वह स्वयं, दूसरी उसकी पत्नी और तीसरा उनका बेटा अलादीन। मुस्तफा बहुत गरीब था। जैसे तैसे वह लोगो के कपडे सीकर अपना गुजारा करता था, लेकिन अपने बेटे को वह पढ़ा-लिखाकर एक बड़ा आदमी बनाना चाहता था। मुस्तफा के दिल में अपने बेटे के लिये बड़े-बड़े अरमान थे।

लेकिन उसका बेटा अलादीन बड़ा ही मनमौजी और लापरवाह किस्म का था। न तो उसे अपने भविष्य की चिंता थी और न अपने पिता की भावनाओं की। मुस्तफा ने उसे कई बार समझाया, लेकिन उस पर कोई असर नहीं पड़ा। बेटे के भविष्य की चिंता में मुस्तफा बीमार रहने लगा और एक दिन इसी गम में दुनिया से कूच कर गया। धीरे-धीरे समय गुजरता रहा और अलादीन जवान हो गया, लेकिन अब भी उसका व्यवहार पहले जैसा ही था।

एक दिन अलादीन अपने दोस्तों के साथ खेल रहा था, तो वहां पर एक सौदागर आया। उस सौदागर ने खुद को अलादीन का बिछड़ा हुआ चाचा बतलाया और उसे खाने-पीने की चीजें और खूब सारा पैसा देकर अपने वश में कर लिया। धीरे-धीरे सौदागर ने उसके घर में आना-जाना शुरु करते हुए, अपनी मीठी-मीठी बातों से दोनों माँ-बेटे को वश में कर लिया। एक दिन सौदागर ने अलादीन की माँ से उसे उसके साथ काम पर भेजने को कहा।

Hindi Story of Aladdin and The Magic Lamp

चूँकि अलादीन कोई काम नहीं करता था, इसीलिये उसकी माँ से उसे भेजने में कोई आना-कानी नहीं की। सौदागर उसे लेकर एक जंगल में आया और एक गुफा के पास पहुँचकर, अलादीन से बोला – “बेटा! अब तुम्हारी गरीबी ख़त्म होने के दिन आ गये हैं। इस गुफा के अन्दर जाओ और वहाँ जलते हुए चिराग को बुझाकर ले आओ। उस चिराग की मदद से तुम दुनिया के सबसे बड़े आदमी बन जाओगे।”

अलादीन ने पहले तो डर के मारे काफी ना-नुकर की, लेकिन सौदागर के ज्यादा दबाव डालने पर वह अन्दर चला गया। जाते समय सौदागर ने उसे एक विशेष अँगूठी भी दी थी। अलादीन किसी तरह से सुरंग के भीतर जाकर उस चिराग को ले आया, जिसे देखकर सौदागर को बड़ी ख़ुशी हुई। उसने अलादीन से चिराग माँगा, लेकिन अलादीन ने पहले खुद को गुफा से बाहर निकालने को कहा। मगर सौदागर ने मना कर दिया।

उसकी बाते सुनकर अलादीन का माथा ठनका। उसने सौदागर के बार-बार मांगने पर भी चिराग नहीं दिया। इससे क्रोधित होकर सौदागर ने एक मंत्र फूँका और अलादीन से बोला – “तूने मेरी नाफरमानी की है। अब तू सदा के लिये इस सुरंग में दफ़न हो जायेगा।” उसके इतना कहते ही सुरंग का दरवाजा बंद हो गया। दरअसल वह सौदागर उसका चाचा नहीं, बल्कि अफ्रीका का एक खतरनाक जादूगर सेनसेन था जिसने अपने जादू के बल से उस चिराग का पता लगाया था।

 

अलादीन और उसका जादुई चिराग

यह चिराग कोई मामूली चिराग नहीं था, बल्कि एक जादुई चिराग था। जिसके भीतर रहने वाला जिन्न, दुनिया का हर मुश्किल काम चुटकियों में पूरा कर सकता था। पर चूँकि उस चिराग को उस क्षेत्र में रहने वाला कोई इन्सान ही निकाल सकता था, इसीलिये उसने अलादीन को मोहरा बनाया था। लेकिन जादूगर सेनसेन की योजना सफल न हो सकी और वह खाली हाथ वापिस अफ्रीका लौट गया।

इधर अलादीन उस अँधेरी गुफा में भटकते हुए दो दिन तक रास्ता ही खोजता रहा, मगर नाकामयाब रहा। अचानक उसे ठोकर लगी और हाथ में पहनी अँगूठी के रगड़े जाने से एक भयानक जिन्न प्रकट हुआ। उस जिन्न की मदद से अलादीन सकुशल अपने घर पहुँच गया। उसे जिन्दा देखकर उसकी माँ बहुत खुश हुई। फिर उसने सारी घटना अपनी माँ को सुना दी।

अलादीन कई दिन से भूखा था, लेकिन घर में फूटी कौड़ी नहीं होने के कारण उसने साथ लाये पीतल के चिराग को ही बेचने का इरादा कर लिया। जब वह चिराग को बाजार में बेचने हेतु उसे रगड़-रगड़कर साफ़ कर रहा था, तभी एक तेज धमाका हुआ और भयानक शक्ल-सूरत वाला एक जिन्न प्रकट हुआ। उस जिन्न को देखते ही अलादीन की माँ डर के मारे बेहोश हो गयी, लेकिन डर के बावजूद अलादीन किसी तरह अपने होश संभाले बैठा रहा।

चिराग के करामाती जिन्न की कहानी

जिन्न ने प्रकट होते ही अलादीन से कहा – “क्या हुक्म है मेरे आका! अलादीन के पूछने पर जिन्न ने बताया – “आका! जिसके पास भी यह चिराग रहता है, मै उसका गुलाम बन जाता हूँ और उसकी हर फरमाइश को पूरा करता हूँ। अगर आप भी कुछ चाहते हैं, तो हुक्म दीजिये, वही चीज आपके सामने हाजिर करू।” अलादीन भूखा तो था ही, तुरंत बोला – “अगर ऐसी बात है, तो मेरे लिये बढ़िया से भोजन का इंतजाम करो। मै कई दिन से भूखा हूँ।

जो हुक्म मेरे आका! – यह कहकर जिन्न गायब हो गया और जब लौटा तो उसके हाथों में सोने-चाँदी की कई थालियाँ थीं, जिनमे एक से बढ़कर एक लजीज व्यंजन रखे हुए थे। खाना देकर जिन्न गायब हो गया। अपनी पूरी जिंदगी में अलादीन ने इतनी शानदार दावत नहीं देखी थी। वह खाने पर टूट पड़ा। थोड़ी ही देर में उसकी माँ को भी होश आ गया। उसने अलादीन से पूछा – “अरे बेटा! इतनी जल्दी, इतना शानदार भोजन, तू कहाँ से ले आया।”

अलादीन उसे सारी घटना सुनाते हुए बोला – “माँ हमारी गरीबी के दिन लौट गये। अब तुम्हे जो भी चीज चाहिये, बस उसका हुक्म करो, फिर वह चीज अपने आप ही तुम्हारे सामने हाजिर हो जायेगी।” अपनी आँखों से सब कुछ देखकर अलादीन की माँ फूली नहीं समायी। चिराग के जिन्न की वजह से अब अलादीन के घर में कोई कमी न थी। जब भी किसी चीज की जरुरत पड़ती, अलादीन चिराग घिसता और जिन्न उसे तुरंत हाजिर कर देता।

आगे पढिये इस कहानी का अगला भाग – अलादीन और शहजादी का किस्सा

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