Last Updated on September 30, 2022 by Jivansutra

 

A Great Scientist: Thomas Alva Edison in Hindi

 

“असफल व्यक्ति वह काम करते हैं जो तनाव दूर करता है, जबकि विजेता वह काम करते हैं जो उद्देश्य की ओर ले जाते हैं।”
– डेनिस वेटले

 

Great Scientist Thomas Alva Edison in Hindi
कुछ भी असंभव नहीं है यदि एक इंसान सिर्फ प्रयास करे

Thomas Edison was A Scientist by Birth एक जन्मजात वैज्ञानिक

World Famous Inventor, Scientist और Businessman, Thomas Alva Edison को कौन नहीं जानता। यूँ तो सभी ने उनके Achievements और Successful Life के बारे में पढ़ा है, पर उनके संघर्षपूर्ण जीवन के बारे में कम ही लोग जानते हैं। एडीसन इस बात का एक ज्वलंत उदाहरण हैं कि कैसे एक व्यक्ति गरीबी से निकलकर, न केवल दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत बनता है, बल्कि एक सच्चे देशभक्त के रूप में अपनी खोजों से, देश और समाज की अथक सेवा भी करता है।

Gramophone, Tape Recorder, Motion Camera, Electric Bulb और Electricity Distribution System समेत कई छोटे-बड़े 1300 से भी ज्यादा Inventions के Patent का उनका अपना कीर्तिमान है। दुनिया में शायद ही किसी दूसरे Inventor ने इतने आविष्कार किये हों। उनके Inventions से मानवजाति आज कितना लाभ उठा रही है, इसके लिए हमें केवल नज़रें घुमाने भर की जरुरत है।

थॉमस अल्वा एडीसन का जीवन, एक असली विजेता की फर्श से अर्श तक पहुँचने की दिलचस्प और प्रेरणादायी कहानी है; जो बार-बार इसी ज्वलंत तथ्य की ओर इशारा करती है कि मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता स्वयं है। आइये, इस महान वैज्ञानिक के प्रेरणादायी जीवन के बारे में कुछ जाने!

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Life of Thomas Alva Edison एडीसन का प्रारंभिक जीवन

इस महान वैज्ञानिक का जन्म, 11 फरवरी सन 1847 के दिन अमेरिका के ओहियो प्रान्त के मिलान नामक स्थान पर हुआ था। वे अपने पिता सैमुएल एडीसन (Samuel Ogden Edison) और माँ नैंसी इलियट (Nancy Matthews Elliot) की सातवीं और अंतिम संतान थे। महान व्यक्तियों का बचपन असाधारण होता है, यह बात Edison पर पूरी तरह से लागू होती है। उनकी खोजी प्रवृत्ति की कहानियाँ हमने बचपन में जरूर पढ़ी होंगी कि कैसे उन्होंने पक्षियों की उड़ान का रहस्य जानने के लिए, अपनी नौकरानी को कीड़ों की चटनी को पीसकर खिला दिया था, जिसके कारण वो बेचारी कई दिन तक बिस्तर पर पड़ी रही थी।

यह जानने के लिए कि अण्डों से चूजे किस प्रकार निकलते हैं, वह एक बार खुद ही उन पर बैठ गए थे, जिस पर उनकी माँ ने उनकी बड़ी पिटाई की थी। अपनी जिज्ञासा को शांत करने के लिए बालक Edison कुछ गंभीर मगर विचित्र प्रश्नों को पूछ बैठते थे, जिनका उत्तर देने में उनके अध्यापक भी चकरा जाते थे। उनके शिक्षक उन्हें एक शरारती और मूर्ख बच्चा समझते थे।

जबकि वास्तविकता यह थी कि अज्ञानी अध्यापक एक प्रतिभाशाली बच्चे की प्रतिभा को कभी पहचान ही नहीं पाये थे। इस कारण से एडिसन को बचपन में ही स्कूल से निकाल दिया गया था। लेकिन उनकी माँ जानती थी कि बालक मंदबुद्धि या पागल नहीं है। इसीलिये उनकी माँ ने उनकी स्कूली शिक्षा घर पर रखकर ही पूरी कराई।

उनकी माँ उनके हर विचित्र सवाल का समझदारी से जवाब देती और उनकी जिज्ञासा को शांत करती। Edison ने एक बार अपनी माँ के बारे में कहा था, “मेरी माँ ने ही मेरा निर्माण किया है। वह बहुत सच्ची थी और मुझ पर बहुत विश्वास करती थी। मै हमेशा यह महसूस करता था कि मुझे किसी के लिए जीना है, कोई ऐसा है, जिसे मुझे निराश नहीं करना है।”

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Hard Struggle of Thomas Alva Edison एडिसन का कठोर संघर्ष

परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण, एडिसन को बचपन में ही कठिन परिश्रम करना पड़ा। प्रबल इच्छाशक्ति के धनी एडिसन ने कभी भी छोटे कामों को करने में हेठी अनुभव नहीं की। वे हर काम को प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाकर, उसे हरसंभव तरीके से सही, पूरा और शानदार ढंग से करते थे। रेल के डिब्बों में सब्जी बेचना, अखबार बेचना, तार बाँटना, जैसे अनेकों काम उन्हें अपनी जिंदगी के शुरूआती दिनों में ही करने पड़े; पर इसमें उन्होंने कभी हीनता महसूस नहीं की।

यहाँ तक कि इन कामों में भी उन्हें कई बार चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। कड़ी मेहनत करके बचाए हुए पैसे से वह प्रयोग का सामान और किताबें खरीदते। जब Edison गाड़ी में अखबार बेचते थे, तो वहीँ पर उन्होंने एक छोटी सी Laboratory भी बना ली थी। एक बार Experiment करते समय पास रखे एक ज्वलनशील Chemical ने आग पकड़ ली, जिसकी वजह से डिब्बे में भी आग फैल गयी थी।

अगले स्टेशन पर Edison को ट्रेन और नौकरी दोनों से निकाल दिया गया। लेकिन Edison ने हिम्मत नहीं हारी, बल्कि दूसरा काम शुरू कर दिया। 19 वर्ष की आयु में उन्होंने, एक Telegraph Operator की नौकरी कर ली। जहाँ पर वह Night Shift में काम किया करते थे। इससे उन्हें पढने और प्रयोग करने का समय मिल जाता।

लेकिन Edison यहाँ पर भी अधिक दिनों तक काम न कर सके, क्योंकि उनका दुर्भाग्य यहाँ भी उनका पीछा कर रहा था। एक रात Lead-acid Battery पर काम करते हुए कुछ Acid फर्श पर फैल गया जो उनके Boss की Desk तक पहुँच गया। अगले दिन Edison को बाहर निकाल दिया गया। हर काम को इज्ज़त का मानना और प्रत्येक अवसर के महत्वपूर्ण सदुपयोग का शिक्षण उन्हें अपने माता-पिता से बचपन में ही मिला था।

 

Edison as A Great Inventor महान आविष्कारक एडिसन

Edison ने Inventor के रूप में अपना Career, अमेरिका के New Jersey प्रान्त में शुरू किया था। जहाँ उन्होंने Automatic Repeater और दूसरी Telegraphic Devices बनायीं। लेकिन जिस आविष्कार ने उन्हें प्रसिद्धि दिलाई, वह Phonograph था। सन 1877 में किये इस आविष्कार ने, उन्हें “मेनलो पार्क के जादूगर” के नाम से मशहूर कर दिया। धीरे-धीरे कुछ पैसा इकट्ठा करके उन्होंने पहली Industrial Research Laboratory बनायीं, जो America के New Jersey राज्य में Middlesex County नामक स्थान पर है।

इस प्रयोगशाला से ही वे आविष्कार निकले, जिन्होंने आगे चलकर समाज का स्वरुप बदल दिया। Edison ने एक बार कहा था कि वे अपनी Laboratory में हर तरह का सामान चाहते हैं। उनकी यह बात कितनी गंभीर थी, इसके बारे में एक Newspaper ने सन 1887 में लिखा है -“उनकी प्रयोगशाला में 8000 प्रकार के Chemicals हैं, हर तरह का Screw है, हर तरह की Needle है, हर तरह का Wire है।”

“इसके अलावा मनुष्यों के, घोड़ों के, सुअरों के, गायों के, खरगोशों के, ऊंट के और बकरी समेत कई जीवों के बाल हैं। हर तरह का सिल्क, ककून, शार्क के दांत, हिरण के सींग, कछुए का खोल, कोर्क, वार्निश, तेल, शुतुरमुर्ग के पंख, मोर की पूंछ और ऐसे ही न जाने कितने विचित्र से सामानों की एक लंबी List है।” सन 1877-78 में उन्होंने Carbon Telephone Transmitter बनाया जो Communication System की बुनियाद था।

निकोल टेस्ला (Nikola Tesla) जैसे चोटी के वैज्ञानिक और हैमर (Hammer) जैसे Engineer ने भी अपने शुरूआती दिनों में Edison के साथ काम किया था, जिनकी कई खोजों ने आगे चलकर वैज्ञानिक क्रांति का सूत्रपात किया। हालाँकि कुछ लोगों का यह भी कहना है कि एडीसन को अपने जीवन में जो सफलता हासिल हुई उसके पीछे निकोल टेस्ला का बहुत बड़ा योगदान था।

Attitude of Edison Towards Failures असफलता के प्रति द्रष्टिकोण

Edison जब Electric Bulb बनाने के लिए Experiment कर रहे थे, तब उस समय उनके लगभग 10000 से भी ज्यादा प्रयोग असफल रहे थे। लेकिन उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी। इस खोज को आखिरी रूप देने में उन्हें 10 साल से भी ज्यादा का समय लग गया था, पर असीम धैर्य और अदम्य साहस Edison के व्यक्तित्व की मुख्य विशेषता थी और इन असफलताओं के बावजूद वह अपने लक्ष्य की प्राप्ति हेतु सतत प्रयास करते रहे।

उनके स्थान पर अगर और कोई व्यक्ति होता तो कब का उस काम को छोड़कर जा चुका होता उनकी इस क्षमता का पता तब चला, जब एक बार एक सार्वजनिक समारोह में एक पत्रकार ने उनसे यह सवाल किया कि 2000 प्रयोगों में असफल रहने के कारण आपका इतना समय बेकार चला गया। इसे आप किस तरह से देखते हैं? तो उनका जवाब था – “नहीं, मै असफल नहीं रहा। बल्कि मैंने ऐसे 2000 तरीके ईजाद किये जिनसे Bulb नहीं बन सकता था।”

यह Edison का जीवन के प्रति सकारात्मक द्रष्टिकोण ही था, जिसने उन्हें इतना सफल बनाया और सदा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। Edison, Infection की वजह से बचपन में ही बहरे हो गए थे, पर इसका उन्होंने कभी दुःख नहीं माना। अपने माता-पिता की शिक्षाओं से वे Self-dependent बने और हमेशा अपनी इस कुदरती अक्षमता (Natural Disability) को ईश्वर का वरदान मानते रहे।

इस विषय में उनका कहना था कि दूसरे लोग बेकार की गपशप में अपना समय गुजारते हैं, भाग्य से मुझे ऐसी बर्बादी का सामना नहीं करना पड़ा। वह समय मै सोचने और पढने में लगाता हूँ। यदि दूसरों की तरह मेरे भी कान खुले होते, तो इतना न कर पाता जो आज कर पाया हूँ। वाह! शारीरिक अक्षमता के प्रति क्या नजरिया था उनका।

 

Thomas Alva Edison का मानवता के प्रति योगदान

आज इस 21वीं सदी मे हम जितने भी Scientific Inventions का लाभ उठा रहे हैं, उनमे सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है Electricity यानी बिजली। सोचिये अगर इसका Invention न हुआ होता, इसे पैदा करने की तकनीक न ढूंढी जाती और इसे अन्य जगहों पर भेजने की तरकीब न खोजी जाती, तो क्या आज हमारा जीवन इतना सुखमय हो पाता! Television, Computer, A.C., Refrigerator, Cooler, Mobile, Lighting और ऐसे ही न जाने कितने उपकरण हैं जिनका जीवन Electricity पर निर्भर है।

Thomas Alva Edison ने ही सबसे पहले Commercial Electricity Power Distribution System का निर्माण किया था। मानवजाति के कल्याण की दिशा में किये गए उनके प्रयासों के लिए उन्हें अनेकों Awards से नवाजा गया। उनके सम्मान में अनेकों Schools, Colleges, Roads, Buildings का नाम उनके नाम पर रखा गया। America की कई Museums और Memorials उनका यशोगान करती हैं।

उनके नाम पर दर्ज हजारों पेटेंट उनकी प्रतिभा का प्रमाण प्रस्तुत करते हैं। अपने इसी विकसित व आशावादी द्रष्टिकोण, बड़ी सोच, कठोर परिश्रम और धैर्य के आधार पर ही उन्होंने इतनी बड़ी सफलता हासिल की थी। Thomas Alva Edison के असाधारण योगदान को देखते हुए अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति ने भी सारे देश की ओर से उनका सार्वजानिक सम्मान किया था।

18 अक्टूबर सन 1931 के दिन इस महान Inventor ने, इस नश्वर संसार से विदा ले ली, लेकिन आने वाली पीढ़ियों और वैज्ञानिकों के लिए यह आशा भरी मिसाल बनकर कि – “यदि अपनी क्षमताओं पर विश्वास हो, तो संसार का कोई भी कार्य असंभव नहीं है, कोई भी उपलब्धि दूर नहीं है। जो प्रगति का रास्ता सच्चे मन से ढूंढेगा, उसे उपयुक्त अवसर मिलकर ही रहेगा।”

Lessons from Life of Thomas Alva Edison एडिसन के जीवन के सबक

George Santayana की यह उक्ति, Thomas Alva Edison पर अक्षरशः लागू होती है – “किसी भी व्यक्ति के लिए हर समय कुछ न कुछ सीखना बाकी होता है। बुद्धिमान व्यक्ति इसी ओर प्रयत्नशील होते हैं।” Edison का पूरा जीवन प्रयोग करने और उनसे सीख लेकर परिणाम उत्पन्न करने में बीता, जिनमे बचपन की गलतियों से सबक लेना भी शामिल था। अगर उन्हें एक जन्मजात वैज्ञानिक कहा जाये तो कोई अतिश्योक्ति न होगी।

गलतियों की जीवन में क्या महत्ता है, इस पर एडिसन ने एक बार कहा था – “मुझे ऐसा आदमी दिखा दीजिये जिसने कभी कोई गलती नहीं की है, और मै आपको एक ऐसा आदमी दिखा दूंगा जो कभी भी सफल नहीं हो सकता।” इस महान व्यक्ति के जीवन से हम यही सीख पाते हैं कि एक निष्क्रिय जीवन से ज्यादा बेहतर यही है कि सारा जीवन गलती करके सीखने में बिताया जाये।

परिणाम अगर अनुकूल न रहे, तो भी कभी इस बात का दुःख तो न रहेगा कि जो हमें पाना था, उसके लिए हमने प्रयास नहीं किया। कम से कम व्यक्ति उस एक काम को तो कर ही सकता है, जो उसके हाथ में है। किसी विद्वान् ने सच ही कहा है कि महान व्यक्ति जन्म से महान नहीं होते, बल्कि संकटों की पाठशाला में तपकर ही वे महापुरुष बन पाते हैं और उनमे से एक नाम थॉमस अल्वा एडीसन का भी है जो सदा याद रखा जायेगा।

“सामान्य नियमानुसार – एक व्यक्ति जब पैदा होता है, तो वह अपने साथ कुछ विशेष नहीं लाता। एक मनुष्य वास्तव में वह है, जो वह खुद को बनाता है।”
– एलेग्जेंडर ग्राहम बेल

 

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