Last Updated on August 31, 2019 by Jivansutra
Best Jeevan Mantra in Hindi for True Happiness
– एपिक्टेटस
Jivan Mantra in Hindi अनावश्यक दुःख का कारण
आज 10 Jeevan Mantra in Hindi for Happiness में हम अपने पाठकों को उन दस जीवन मन्त्रों के बारे में बता रहे हैं जिन्हें जानकर और अपने जीवन में उतारकर वह एक सुखी, संतोषी और उद्देश्यपूर्ण जीवन जीने की ओर अपने कदम आसानी से बढ़ा सकेंगे सुख और दुःख जीवनरुपी पहिये के दो पहलू हैं। दुःख के पीछे सुख और सुख के पीछे दुःख लगा ही रहता है और यह सिलसिला न जाने कब से अनवरत रूप से चला आ रहा है।
“यदि कोई सुख को स्वीकार करता है तो उसे निश्चित रूप से दुःख को भी स्वीकार करना ही पड़ेगा। यह संभव नहीं कि हम सुख को तो स्वीकार कर लें, लेकिन दुःख से बचते फिरें। नियति के इस सनातन चक्र को रोक पाना किसी भी प्राणी के लिये संभव नहीं है।”
दुःख हमारी जिंदगी में न जाने किन-किन राहों के जरिये प्रवेश करता है। कभी पीड़ा, तो कभी पतन, कभी रोग, तो कभी वियोग। इंसान दुःख सहने को मजबूर हैं, परन्तु इसका यह अर्थ नहीं कि हम सभी तरह के दुःख भोगने को विवश हैं। कुछ अनिवार्य भोगों को छोड़ दिया जाय तो जिंदगी के ज्यादातर दुःख हमारे अपने ही पैदा किये हुए हैं।
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Jeevan Mantra for A Happy Life सुखी जीवन के मंत्र
यदि हम अपने स्वभाव को परिवर्तित कर सकें, अपने जीवन पर सूक्ष्म दृष्टि का पहरा रखे सकें, तो जीवन बदलते देर नहीं लगेगी। यह केवल कोरा आश्वासन नहीं है, बल्कि सभी महान व्यक्तियों द्वारा अनुभूत यथार्थ तथ्य है। यदि हम उन कार्यों को करना छोड़ दें जिनसे परिणाम में दुःख पनपता है, तो हमारे जीवन में उस स्वर्गीय आनंद के पनपने में देर नहीं लगेगी जिसकी हम हमेशा से ख्वाहिश करते रहे हैं, पर उससे अभी तक दूर ही हैं।
इन जीवन मन्त्रों के जरिये यही बताने का विनम्र प्रयास किया गया है कि दुखी लोगों के जीवन में छाया अँधियारा काफी हद तक उनकी ही नासमझी का परिणाम है। जिसे वे इन दस दरवाजों के जरिये अपने जीवन में प्रवेश करने देते हैं जिनका हम नीचे वर्णन करने जा रहे हैं।
अगर आप स्वयं को इन 10 कामों को करने से रोक सकें तो निश्चित जानिये आपको सुखी होने से कोई नहीं रोक सकता। हमें आशा है यह लेख अनेकों व्यक्तियों के जीवन से दुःख का कुछ हिस्सा कम करने में अवश्य सहायक होगा!
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10 Jeevan Mantra in Hindi for Happiness
Mantra 1. Don’t Destroy Self-confidence आत्म-विश्वास नष्ट मत करिये
किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व (Personality) में आकर्षण उसके आत्म-विश्वास के समानुपाती होता है। आत्म-विश्वास ही व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति, उत्साह और शक्ति का संचार करता है। दुखी लोगों की चेतना, दुःख के भार से इतने ज्यादा दबाव में आ जाती है कि उन्हें सब कुछ दुखपूर्ण ही लगने लगता है। उन्हें हमेशा ऐसा प्रतीत होता है कि अब वे बिल्कुल अकेले पड़ चुके हैं और अब कोई भी उनकी सहायता करने नहीं आने वाला है।
यह निराशा उन्हें अन्दर तक तोड़ डालती है और यह ज्वलंत सत्य है कि इस दुनिया में उस इंसान की कोई मदद नहीं कर सकता है जो अपना आत्म-विश्वास खो चुका है। जिसका आत्म-विश्वास बिल्कुल नष्ट चुका है, वह इंसान जीता हुआ भी मुर्दा ही है और मुर्दे को कोई आखिर कब तक चला सकता है? आत्म-विश्वास से हीन व्यक्ति में न तो उत्साह रहता है और न ही परिश्रम करने की ललक।
उसमे न तो इच्छाशक्ति ही उपजती है और न ही उसकी दृष्टि विकसित हो पाती है। निश्चित रूप से आत्म-विश्वास न केवल कामयाबी का, बल्कि जीवन में मिलने वाली हर खुशी, हर सुख का रहस्य है। इसीलिये हर किसी को अपनी इस कीमती दौलत को बचाकर रखना चाहिये। जिंदगी को खुशहाल बनाने वाला यह Self Confidence ही हमारा प्रथम Jeevan Mantra है।
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Mantra 2. Guess Your Abilities Properly अपनी क्षमताओं का सही आँकलन करें
दुखी लोगों के जीवन की मीमांसा करने पर एक तथ्य यह भी उभरकर सामने आया है कि अधिकांश दुखी लोग भ्रम में जीते हैं और इसकी मुख्य वजह होती है अपनी क्षमताओं का सही आँकलन न कर पाना। कोई भी व्यक्ति यदि किसी ऐसे कार्य को हाथ में ले ले जो उसकी क्षमता से अधिक योग्यता की माँग करता है, जिसके विषय में उसे आवश्यक ज्ञान नहीं है और जिसमे निरंतर परिश्रम और धैर्य की दरकार है, तो उस कार्य में उसका असफल होना आश्चर्यजनक नहीं है।
और कुछ संकल्पित मनुष्यों को छोड़ दिया जाय तो अधिकांश लोगों के लिए असफलता दुःख का ही कारण बनती है। खीझकर और निरंतर तनाव में रहते हुए किसी काम को न तो सही तरह से पूरा करना ही संभव है और न ही अपनी जीवनीशक्ति को बचाए रख पाना।
इसीलिये बेहतर तो यही है कि पहले उन कार्यों को हाथ में लिया जाय जहाँ अपनी योग्यता पर्याप्त हो, और फिर प्राप्त अनुभव का इस्तेमाल करते हुए, अपनी योग्यता बढ़ाते हुए बड़े उत्तरदायित्व हाथ में लिये जाँय। अपनी क्षमताओं का सही आंकलन करना एक Happy Life का दूसरा Jeevan Mantra है।
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Mantra 3. Do not Live in The Past अतीत में मत जीयें
दुखी लोग हमेशा अतीत में जीना पसंद करते हैं, क्योंकि बचपन की, जवानी की यादें और बीते कल की कामयाबी हम सभी के जीवन के वे अनमोल, सुनहरे पल हैं जहाँ हमें न कभी किसी चीज़ की कमी महसूस हुई और न ही किसी भारी जिम्मेदारी का भार हमारे कन्धों पर पड़ा। माता-पिता और प्रियजनों की छाया तले गुजरे वे दिन अतीत का वह हिस्सा हैं जिसे शायद ही कोई इंसान मरते दम तक भूल सके।
सुखी लोग अपने अतीत की गलतियों का ईमानदारी से मूल्यांकन करते हुए भविष्य के लिये एक बेहतर योजना तैयार करते हैं और कामयाबी हासिल करते हैं। लेकिन दुखी व्यक्ति, सुखी इंसानों की तरह अतीत को एक प्रेरक प्रसंग समझकर उसे अपने आगामी जीवन को और अधिक बेहतर करने के लिये उपयोग में नहीं लाते, बल्कि वे उसी में ठहरकर, सिर्फ बीती हुई यादों का आनंद लेना चाहते हैं।
वे आगे नहीं बढ़ना चाहते, बल्कि वर्तमान और भविष्य की ओर से मुँह फेर लेते हैं। ऐसी हालत में उनकी समस्त उन्नति, सारी प्रगति रूक जाती है। हमें समझना चाहिये कि वर्तमान की समस्या को, आज के दुःख को, अतीत के सुखद क्षणों के सहारे नहीं बदला जा सकता, बल्कि एक अच्छे भविष्य की आशा रखकर, मेहनत करके ही बदला जा सकता है। अतीत में न जीना ही एक Successful Life का तीसरा Jeevan Mantra है।
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Mantra 4. Don’t Compare Your Life to Others अपने जीवन की दूसरों से तुलना न करें
दूसरों से तुलना न करना हमारा चौथा Jeevan Mantra है। अपने जीवन को दुखदायी बनाने के लिये दुखी लोग जिस काम को जाने-अनजाने सबसे ज्यादा करते हैं, वह है – “अपने जीवन की दूसरों के जीवन से तुलना करना।” केवल इस एक कारण से ही दुःख 75 प्रतिशत लोगों के जीवन में अँधियारा करता चला जाता है। इस दुनिया में लोगों के जीवन की खुशियाँ छीनने वाले चाहे जितने भी कारण रहे हों, उसमे सबसे अहम् भूमिका सिर्फ इसी चीज की है।
अगर लोग स्वयं की दूसरों के साथ तुलना करना छोड़ सके, तो न केवल उनका जीवन सुखमय हो जाय, बल्कि आधे से ज्यादा सामाजिक अपराधों पर स्वयं ही रोक लग जाय। स्वयं को प्रत्येक क्षेत्र में दूसरों से ऊपर देखने की महत्वाकांक्षा ने ही आज इस मानव समाज को इस विकृत अवस्था में पहुंचा दिया है कि लोग सुख के बारे में भूलते ही चले जा रहे हैं।
दिन प्रतिदिन बढ़ता भ्रष्टाचार, चोरी, डकैती, रिश्वतखोरी, पैसे और ताकत का ओछा और भौंडा प्रदर्शन सिर्फ इसी एक बीमारी के कारण सिर उठाये हुए हैं, अन्यथा पेट भरने और सामान्य जीवन जीने के लिए थोड़े परिश्रम से प्राप्त आजीविका ही काफी है। ज्यादा नहीं बस थोडा सा संतोष रखकर ही हम इस आदत से दूर रह सकते हैं और अपने जीवन की अमूल्य खुशियाँ लुटने से बचा सकते हैं।
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Mantra 5. Don’t Get into Other People’s Concerns दूसरे लोगों के काम में टांग न अडायें
स्वतंत्रता हर व्यक्ति को प्रिय है, इस धरती पर कोई भी परतंत्र रहकर नहीं जीना चाहता। कोई भी व्यक्ति धन के लोभ से या दबाव से एक सीमा तक ही कार्य कर सकता है और तब भी वह कभी आपका ह्रदय से सम्मान नहीं करेगा। दूसरों के जीवन में हस्तक्षेप करने की आदत लोगों की जिंदगी को अनावश्यक तनाव और दुःख से भरने वाली है। हमें समझना चाहिये कि इस धरती पर किन्ही भी दो व्यक्तियों के व्यक्तित्व पूर्णतया एक जैसे नहीं हैं।
सभी लोग अलग-अलग परिवेश में ढले हुए, अलग-अलग विचार रखने वाले और अपने-अपने तरीके से कार्य करने वाले होते हैं। यदि आप लोगों को अपने अनुसार चलाने की कोशिश करेंगे, उन्हें अपने अनुसार कार्य करने को बाध्य करेंगे तो निश्चित जान लीजिये, शीघ्र ही आप उनके प्रबल प्रतिरोध का सामना करेंगे, फिर चाहे वह इन्सान आपकी अपनी संतान ही क्यों न हो!
इसीलिये सबको एक ही डंडे से हाँकने की अपनी नीति को बदल डालिये। अन्यथा इस आदत को जीवन के हर क्षेत्र तक फैलने में देर नहीं लगेगी। जिन लोगों के जीवन का उत्तरदायित्व आपके ऊपर है, केवल उन्ही लोगों का समय-समय पर मार्गदर्शन करिये, पर वह भी बलपूर्वक नहीं।
लेकिन बाकी लोगों को उनकी जिंदगी उनके इच्छित तरीके से ही जीने दीजिये, अन्यथा उनकी ख़ुशी तो बाद में खोयेगी, आप अपने जीवन को पहले दुखद बना लेंगे। दूसरों की आजादी न छीनना सुखी रहने का मंत्र तो है ही, यह हमारा पाँचवा जीवन मंत्र भी है।
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Mantra 6. Don’t Blame Yourself for Failures स्वयं पर भार न लादे रखें
कुछ लोगों की आदत होती है कि वे अपने सीने पर व्यर्थ की चिंताओं और कामनाओं का भार लादे रखते हैं। जैसे – इस बात की चिंता करते रहना कि दूसरे लोग हमारे बारे में क्या सोचेंगे? अपनी नाकामयाबी के लिये बार-बार खुद को ही दोषी मानते रहना, आदि बातें। यह हर किसी को अच्छी तरह से समझ लेना चाहिये कि दूसरे व्यक्ति की आपके बारे में बनाई गई धारणा से न तो उसका ही हित हो सकता है और न आपका ही।
हमारा लक्ष्य एक ऐसा व्यक्ति बनना नहीं होना चाहिये जो दूसरों को अच्छा लगे, बल्कि एक ऐसा व्यक्ति बनना होना चाहिये, जो वास्तव में श्रेष्ठ हो। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति थियोडोर रूजवेल्ट का कथन है- “मै उस बात की चिंता नहीं करता कि मै जो करता हूँ, दूसरे उसके बारे में क्या सोचते हैं; लेकिन मै उस बात की बहुत चिंता करता हूँ कि जो मै करता हूँ, उसके बारे में मै क्या सोचता हूँ!”
याद रखिये – अच्छाई का संबंध चरित्र से है – अखंडता, ईमानदारी, दयालुता, उदारता, नैतिक साहस, और उसी प्रकार के अन्य गुण स्वयं में विकसित करना ही, किसी भी इंसान के लिए सबसे उत्तम मार्ग है। यदि हम ऐसा व्यक्ति बनने में सफल हो सकें, तो फिर किसी की अपने बारे में बनाई धारणा का कोई औचित्य नहीं?
अपनी असफलता के लिये स्वयं को ही दोषी मानते रहना, भूतकाल की गलतियों के लिये स्वयं को आत्मप्रताडित करना, परिस्थितियों को और बिगाड़ने जैसा है। दुखी लोग ऐसा करके न केवल अपने जीवन को पतन और अंधकार के गर्त में धकेल रहे होते हैं, बल्कि ईश्वरीय वरदान के रूप में मिली हुई दिव्य संकल्पशक्ति और बेशकीमती वक्त को भी व्यर्थ नष्ट करते रहते हैं।
इसीलिये आपसे जो गलतियाँ हुई हैं, उन्हें भूल जाइये। दूसरों के विश्वास को, उनके सम्मान को आपने जो ठेस पहुँचाई है, उसे याद करके दुखी मत होईये, बल्कि यह सोचिये कि जो क्षति आपने स्वयं को या दूसरों को पहुँचाई है अब उसकी भरपाई कैसे हो? और फिर उसकी क्षति-पूर्ति के लिये जी-जान से जुट जाइये। अपने आप पर भार न लादना हमारा छठा Jeevan Mantra है।
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Mantra 7. Develop Positive Attitude सही नजरिया विकसित कीजिये
जिंदगी और मुश्किलों का चोली-दामन का साथ है; इस धरती पर शायद ही कोई ऐसा कामयाब इंसान हुआ हो जिसका जीवन संघर्षों से निरापद रहा हो। अगर जिंदगी है तो मुश्किलें भी हैं, याद रखिये सकारात्मक नजरिया। जो मुसीबतों के बीच में भी आपके उत्साह को बुझने से बचाये रखता है, आपके आत्म-विश्वास की आंच को मंद नहीं पड़ने देता।
नकारात्मक नजरिये वाले लोग जिंदगी में सब कुछ होते हुए भी कोई ख़ुशी या कोई सुख हासिल नहीं कर पाते हैं। दुखी लोगों में सही दृष्टि का, सही नजरिये का अभाव होता है। दरअसल समस्या को देखने का उनका तरीका ही असली समस्या होता है। वास्तव में तो होना यह चाहिये कि हम सर्वश्रेष्ठ की आशा करें, सबसे बुरे के लिये तैयार रहें और जो सामने आता है उसका लाभ उठाने को तत्पर रहें।
केवल तभी हम जीवन को इसकी वास्तविक गरिमा में जी सकते हैं, अन्यथा इसे एक असहनीय भार बनते देर नहीं लगेगी। जोएल ओस्टीन का यह कहना कि सकारात्मक रहने का चुनाव और एक कृतज्ञतापूर्ण द्रष्टिकोण ही इस बात का निर्णय करने जा रहे हैं कि आप अपनी जिंदगी कैसे जीने जा रहे हैं, बिल्कुल सही है। दुनिया के सबसे Successful Businessman की कामयाबी का राज बना Positive Attitude ही हमारा सातवाँ Jeevan Mantra है।
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Hindi Jivan Mantra That will Change Your Life
Mantra 8. Don’t Expect from Other People दूसरे लोगों से अपेक्षा न करें
हम सभी की यह आंतरिक आकांक्षा होती है कि हमें भी दूसरे व्यक्तियों का सम्मान, सहयोग और प्यार प्राप्त हो। वे हमारे कहे का मान करें, हमारी अपेक्षाओं के अनुसार जियें। अन्य लोगों की तुलना में हमारी अपेक्षाएँ अपने परिवारीजनों से और मित्रों से ज्यादा होती हैं। माता-पिता (Parents) को यह शिकायत होती है कि बच्चे उनकी चाहना के अनुरूप कार्य नहीं करते, बच्चे (Children) सोचते हैं कि हमारे माता-पिता हमारी भावनाओं को नहीं समझते।
दोस्त (Friends) सोचते हैं कि इसके पास हमारे लिए वक्त नहीं और पति-पत्नी सोचते हैं कि उनका जीवनसाथी रिश्ते (Relationship) को अहमियत नहीं देता, सिर्फ उनसे ही समर्पण की मांग करता है। दूसरे लोगों से अपेक्षा करते-करते कब हम उनके जीवन में हस्तक्षेप करने लगते हैं, यह हमें पता ही नहीं चलता और जब वे हमें नजरअंदाज करना शुरू कर देते हैं तब हम स्वयं को ही कोसने लगते हैं।
और इस तरह न केवल रिश्तों को बल्कि अपनी पूरी जिंदगी को ही जटिल बना लेते हैं। दुखी लोग यदि अपनी इस आदत से छुटकारा पा लें, तो न केवल उनके अपने जीवन के कई दुःख दूर हो जायेंगे, बल्कि उनके परिवार और जीवन की परिधि में आने वाले हर व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति का प्रवेश हो जायेगा। दूसरों से अपेक्षा न करने का यह गुण ही हमारा आठवाँ जीवन मंत्र है।
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Mantra 9. Have A Noble Aim in Life जीवन में उच्चतर लक्ष्य रखें
Harvard University की एक Case Study में, जिसमे दुनिया के सबसे अमीर और Successful Businessman पर विशेष अध्ययन किया गया है, से यह निष्कर्ष निकलकर सामने आया है कि सुखी और बेहद कामयाब लोग अपना सारा ध्यान सिर्फ अपने लक्ष्य-प्राप्ति पर केन्द्रित रखते हैं। उनके जीवन का ज्यादातर समय अपने उच्चतर लक्ष्य के निर्धारण और फिर उसकी योजना बनाते हुए कठिन परिश्रम में व्यतीत होता है।
चूँकि वह अपना ध्यान सिर्फ अपने उद्देश्य की ओर रखते हैं तो उन्हें अनावश्यक बातों की चिंता करने के लिये वक्त ही नहीं मिलता। लेकिन दुखी लोगों का कोई ऊँचा लक्ष्य नहीं होता, वह बस वक्त काटने की दृष्टि से ढर्रे की जिंदगी जीते चले जाते हैं। स्पष्ट दृष्टि का अभाव उनकी सोच को संकुचित कर देता है।
दुखी लोग वह नहीं देख पाते जो दूरद्रष्टा देख सकते हैं। वे सिर्फ समस्याओं के बारे में ही सोचते रहते हैं, अपने पास उपलब्ध दूसरे अवसरों पर उनकी नजरे नहीं रहती। वे क्यों और किसलिये जी रहे हैं, इसका उन्हें कुछ भी पता नहीं होता। सुखी लोगों और दुखी लोगों में एक महीन अंतर होता है, लेकिन वह अंतर एक बड़ा अंतर पैदा कर देता है और वह इस जीवन लक्ष्य की वजह से जन्म लेता है।
अगर आप वास्तव में सुखी रहना चाहते हैं तो जीवन में दो चीजों को अपना उद्देश्य बनाइये: पहला; उसे हासिल करना जो आप चाहते हैं, और फिर उसके बाद उसका आनंद उठाना। महान महात्मा गाँधी भी यही कहते हैं कि जीवन का महत्व केवल तभी तक है जब वह किसी महान उद्देश्य के लिये समर्पित हो और यह समर्पण ज्ञान और न्याययुक्त हो। जीवन में एक ऊँचा लक्ष्य रखना हमारा नौवाँ Jeevan Mantra है।
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Mantra 10. Don’t Deceive Yourself स्वयं को धोखा मत दीजिये
अपने आप को धोखा न देना हमारा दसवाँ Jeevan Mantra है। दुखी लोगों की कई आदतों में खुद से झूठ बोलना, स्वयं को धोखा देना भी शामिल होता है। हालाँकि वह यह सब करते अनजाने में ही हैं। एक कहावत है कि जब बिल्ली कबूतर का शिकार करने के लिए उसके सामने आती है, तो कबूतर अपनी आँखे बंद कर लेता है, यह सोचकर कि बिल्ली शायद चली गयी हो, लेकिन होता उल्टा ही है। यही समस्या दुखी लोगों के साथ होती है।
मुश्किलों के प्रचण्ड स्वरुप को देखकर वे हताश हो जाते हैं और उनसे पीछा छुड़ाने के लिये, उनकी ओर से मुँह फेर लेते हैं। वे यह नहीं समझ पाते कि एक उच्चतर और महत्वपूर्ण जीवन आपसे न जाने कितनी बार अपने सुखों का बलिदान, असहनीय कष्टों, त्याग और निरन्तर पीड़ा के रूप में माँगता हैं और यदि कोई यह मूल्य चुकाने को तैयार नहीं है, तो वह सर्वोत्तम सुख पाने का अधिकारी भी नहीं है।
महान लेखक खलील जिब्रान के शब्दों में कहें तो – “केवल वही इंसान सुख के सर्वोच्च रूप का अनुभव कर सकता है, जिसने दुखों को उनकी अंतिम सीमा तक जिया है।” सच्चा सुख आराम की, एक आसान जिंदगी गुजारकर हासिल नहीं किया जा सकता। अपनी कमियों का ईमानदारी से, पक्षपातरहित होकर अवलोकन कीजिये और तब आप भली भांति समझ जायेंगे कि आप कहाँ गलत थे।
और जैसे ही आप निश्चय करेंगे कि अब स्वयं को धोखा नहीं देंगे, खुद से झूठ नहीं बोलेंगे और डटकर मुश्किलों का सामना करेंगे, उसी क्षण आप सुख के रास्ते पर आगे बढ़ चलेंगे। याद रखिये आपका सुख आपके ही हाथों में है, क्योंकि हमारा सबसे बड़ा सुख जीवन की उस दशा पर निर्भर नहीं करता है जिसमे भाग्य ने हमें लाकर पटक दिया है, बल्कि यह हमेशा सभी न्यायोचित खोजों में अच्छे विवेक, अच्छे स्वास्थ्य, व्यवसाय और स्वतंत्रता का परिणाम है।
इस कहानी में जानिये क्यों हमें अपनी अनियंत्रित इच्छाओं को सीमित करना जरुरी है – A Short Story in Hindi on Desire
– वाल्टर हगें
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