Last Updated on October 8, 2019 by Jivansutra

Male Reproductive System in Hindi with Images

 

“पुरुषों के प्रजनन अंग, Male Reproductive System के अंतर्गत आते हैं जिनमे अंदरूनी और बाहरी Sex Organs शामिल हैं। लिंग और अंडकोष, पुरुष के बाहरी और मुख्य प्रजनन अंग है जो संभोग क्रिया में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।”

Male Reproductive System in Hindi with Images
क्या जानते है आप पुरुष जननांग के बारे में

आज हम आपको पुरुषों के प्रजनन तंत्र के अंतर्गत आने वाले अंगों के नाम, संरचना और कार्य के बारे में विस्तार से बतायेंगे। पुरुषों के यौन अंग, Male Reproductive System के अंतर्गत आते हैं, जिनमे कई प्रकार के Sex Organs यानि यौनांग शामिल हैं, जो मानव को पुनः उत्पन्न करने की प्रक्रिया में बड़ी भूमिका अदा करते हैं।

यह अंग शरीर के बाहर और पेल्विस के अन्दर स्थित होते हैं। पुरुषों के मुख्य प्रजनन अंग (यौनांग) हैं – लिंग (Penis) और अंडकोष (Scrotum), जो वीर्य और शुक्राणु पैदा करते हैं। जो मैथुन (Sexual Intercourse) के समय, स्त्री के शरीर में, योनिमार्ग से प्रविष्ट होकर, अंडे को निषेचित करते हैं। यह निषेचित अंडा ही आगे चलकर, भ्रूण के रूप में विकसित होता हैं, जो बाद में नवजात शिशु के रूप में जन्म लेता है।

पुरुषों के बाहरी प्रजनन अंगों (External Reproductive Organs) में लिंग और अंडकोष तथा भीतरी प्रजनन अंगों में एपीडिडायमिस (अधिवृषण), वास डेफरेंस (शुक्र वाहिका), सैमिनल वेसाइकल, इजैक्यूलेटरी नलिका, प्रोस्टेट (गदूद) और बल्बोयूरेथ्रल ग्रंथियाँ (काऊपर ग्लैंड) शामिल हैं।

पुरुष जनन तंत्र की नलिकायें

Male Reproductive System में कुल 6 जनन नलिकायें होती हैं, जिनमे से चार मुख्य नलिकायें और दो अन्तरंग नलिकायें होती हैं। यह अन्तरंग नलिकायें अंडकोष के अन्दर होती हैं।

मुख्य नलिकायें: अधिवृषण (एपिडिडिमिस), शुक्रवाहिका (वास डिफेरेन्स), स्खलनीय वाहिकाएँ (इजाकुलेटरी डक्टस), मूत्र नलिका (युरेथ्रा)।

अन्तरंग नलिकायें: वृषण जालिका (Rete Testis) और वृषण के अन्दर स्थित शुक्र वाहिकाएँ (Vasa Efferentia)।

Accessory Glands सहायक जनन ग्रंथियाँ

Male Reproductive System के अंतर्गत तीन सहायक जनन ग्रंथियाँ भी आती हैं, जो पुरुष प्रजनन तंत्र की नलिका प्रणाली (Duct System) का स्नेहन (लुब्रीकेशन) करने वाले और स्पर्म सेल्स को पोषण देने वाले तरल पैदा करती है। यह तीन ग्रंथियाँ हैं – शुक्राशय, पौरुष और कंद-मूत्र पथ ग्रन्थियाँ (कौपर ग्लैंड), इनका वर्णन नीचे किया जायेगा।

सहायक जनन ग्रंथियों से उत्पन्न होने वाले स्राव को शुक्रीय द्रव कहते हैं, जिसमे कुछ महत्वपूर्ण एंजाइम्स भी होते हैं। पुरुषों के प्रजनन अंगों के तीन मुख्य कार्य हैं – अण्डकोषों के द्वारा शुक्राणुओं का निर्माण करना, आन्तरिक जननांगों में वीर्य का निर्माण करना और लिंग के माध्यम से शुक्राणुओं को स्त्री की योनि में पहुँचाना। आइये अब विस्तार से पुरुषों के प्रजनन अंगों के बारे में जानते हैं –

External Genitals of Male in Hindi

1. Penis in Hindi पुरुष का लिंग

लिंग पुरुष का बाहरी और मुख्य प्रजनन अंग (Primary Sex Organ) है। इसे शिश्न और उपस्थ भी कहा जाता है। लिंग एक लम्बी और बेलनाकार पेशीय संरचना है, जो सामान्य अवस्था में शिथिल होता है और मूत्र त्यागने का कार्य करता है। लेकिन उत्तेजना के समय रक्तदाब अधिक होने और पेशियों पर दबाव पड़ने से यह लम्बा और कठोर हो जाता है। लिंग की संरचना देखने में बहुत सामान्य सी प्रतीत होती है, लेकिन ऐसा है नहीं।

लिंग की संरचना स्पंजनुमा होती है और इसमें कोई हड्डी नहीं होती है। यह विशेष प्रकार की पेशियों से बना होता है। लिंग के अग्र भाग को लिंग मुंड कहा जाता है और यह त्वचा के एक ढीले आवरण, जिसे फॉरस्किन कहते हैं, से ढका रहता है। पुरुषों के लिंग में तीन मांसपेशियां होती हैं – दायीं व बाईं कोरपस कैवरनोसम तथा बीच में कोरपस स्पैनजीऔसम।

इन मांसपेशियों में खून की नलिकाएँ होती हैं। जब व्यक्ति कामोत्तेजित होता है, तो इन मांसपेशियों में अधिक रक्त संचार होने से लिंग कठोर हो जाता है। सामान्य अवस्था में लिंग की लम्बाई 1 से 4 इंच होती है, लेकिन उत्तेजित अवस्था में इसकी लम्बाई बढ़कर 10 से 24 सेमी तक हो सकती है। हालाँकि ज्यादातर लोगों के लिंग की औसत लम्बाई 5 से 6 इंच के बीच ही होती हैं।

लिंग की परिधि औसतन 4 से 6 इंच के आस-पास होती है। लिंग संभोग क्रिया में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और वीर्य और शुक्राणु इसी से बाहर निकलते हैं। लिंग के मध्य में एक नलिका होती है जिसे मूत्र नलिका कहते हैं और यह इसमें से होती हुई मूत्राशय की थैली तक जाती है। इसी नलिका द्वारा पुरुष के शरीर से मूत्र और वीर्य निकलता है।

2. Scrotum in Hindi अंडकोष की थैली

स्क्रोटम (वृषण थैली) एक झोलेनुमा संरचना है जो लिंग के नीचे लटकती रहती है। इस मांसल थैली के अन्दर ही अंडकोष/वृषण सुरक्षित रहते हैं। इसके अन्दर कई नाड़ियाँ और रक्त वाहिनियाँ होती हैं। जब बाहरी तापमान कम होता है (सर्दियों के मौसम में), तो यह सिकुड़कर शरीर के नजदीक हो जाती है।

जबकि गर्मियों के मौसम में यह अधिक बढ़कर लटक जाती है। इसके अलावा जब व्यक्ति कामोत्तेजित होता है या वह सम्भोग करता है, तब भी स्क्रोटम सिकुड़कर सख्त हो जाता है। वृषण थैली उदर या पेल्विक गुहा (कैविटी) से इन्गुइनल कैनाल के माध्यम से जुडी रहती है।

Internal Reproductive Organs of Male in Hindi

1. Testicles in Hindi मानव अंडकोष

मानव शरीर में दो अंडकोष होते हैं, जो उदर गुहा के बाहर दोनों टांगों के बीच में, स्क्रोटम के भीतर सुरक्षित रहते हैं। शुक्राणुओं का उत्पादन इन अन्डकोशों के भीतर ही होता है। प्रत्येक अण्डकोष की लंबाई 3 से 5 सेमी और चौड़ाई 2 से 3 सेमी होती है। इनमें रक्त का संचार बहुत तेजी से होता है, विशेषकर सम्भोग के समय।

अंडकोषों  का तापमान, समीपवर्ती उदरगुहा की तुलना में 2 से 3 डिग्री कम होता है, ताकि शुक्राणुओं के निर्माण के लिये उपयुक्त वातावरण बना रहे। प्रजनन अंग के रूप में मानव अंडकोष के दो प्रमुख कार्य हैं – पहला शुक्रजनन नलिका (Seminiferous Tubules) के भीतर शुक्राणु उत्पन्न करना और दूसरा एंड्रोजन हार्मोन का संश्लेषण और स्राव करना, जो पुरुष प्रजनन के कार्य (Male Reproductive Function) को नियंत्रित करते हैं।

2. Epididymis in Hindi अधिवृषण

शुक्राणु का उत्पादन भले ही दोनो अंडकोषों में होता है, लेकिन इनका संग्रहण, संलग्न अधिवृषण (एपिडिडिमिस) में होता है। एपीडिडायमिस, एक लम्बी सफ़ेद रंग की, बहुत ही कुंडलित (मुड़ी हुई) नलिका है, जिसकी लम्बाई 6 मीटर तक हो सकती है।

सेमिनीफेरस ट्यूबूल्स में जो शुक्राणु पैदा होते हैं, वह बहकर एपिडिडिमिस में आ जाते हैं। एपिडिडिमिस के रास्ते से गुजरते हुए शुक्राणु परिपक्व होते हैं और आयन चैनल की क्रियाओं द्वारा इन्हें सान्द्र किया जाता है।

3. Vas Deferens in Hindi शुक्रवाहिका

दोनों अण्डकोष एक नलिका के द्वारा जुडे़ होते हैं, जिसे वास डिफेरेन्स कहते हैं। इसे शुक्रवाहिका या स्पर्म डक्ट भी कहते हैं। यह एक पतली मगर लम्बी नलिका है जो लगभग 30 सेमी लम्बी होती है। यह एपिडिडिमिस से शुरू होकर पेल्विक कैविटी तक जाती है। वीर्य स्खलन के दौरान, शुक्राणुओं को एपिडिडिमिस से स्खलनीय वाहिकाओं (Ejaculatory Ducts) तक ले जाने का काम वास डिफेरेंस का ही है।

4. Seminal Vesicle in Hindi शुक्राशय

शुक्राणु का निर्माण अण्डकोष में होता है, लेकिन यह परिपक्व होकर, सेमीनल वैसाईकल (शुक्राशय) में रहते हैं। शुक्राशय मूत्राशय के पीछे की ओर अवस्थित होता हैं और यहाँ शुक्राणु 2 से 3 महीने तक जीवित रह सकते हैं। अण्डकोष में शुक्राणु बनने के पश्चात, यह पहले छोटी-छोटी नलिकाओं द्वारा ईपीडिडायमीस में इकट्ठे होते हैं और वहां से वास डिफेरेन्स द्वारा सेमीनल वैसाइकल में जाते हैं।

संभोग के समय सेमिनल वैसाइकल से एक तरल निकलता है जो क्षारीय प्रकृति का होता है। इस तरल के कारण ही शुक्राणु काफी समय तक जीवित रहते हैं। यह द्रव लगभग 3 से 5 सी.सी. होता है और प्रत्येक सी.सी. में आम तौर पर 5 से 20 करोड़ शुक्राणु होते हैं।

5. Bulbourethral Gland in Hindi कंद-मूत्र पथ ग्रंथि

बल्बोयूरेथ्रल ग्लैंड से निकलने वाला स्राव, शिश्न के आन्तरिक मार्ग (मूत्र नलिका) को चिकना करता है, ताकि मैथुन क्रिया के दौरान वीर्य निकलने में कोई परेशानी न आये। क्योंकि अगर यह मार्ग चिकना न होगा, तो उत्तेजित अवस्था में, जबकि लिंग कठोर होता है, से अधिक दाब पर वीर्य निकलने से, घर्षण के कारण मूत्र नलिका में घाव हो सकता है या फिर वह क्षतिग्रस्त हो सकती है। अगर ऐसा होता है, तो इन दोनों ही स्थितियों में पुरुष को बहुत ज्यादा पीड़ा सहनी पड़ेगी।

6. Prostate Gland in Hindi पौरुष ग्रंथि

प्रोस्टेट ग्रन्थि मूत्राशय और लिंग के नीचे होती है। इसे गदूद या पौरुष ग्रंथि भी कहते हैं। सेमिनाइकल वैसाईकल भी प्रोस्टेट से लगी हुई रहती है। उत्तेजना के समय पुरुष के लिंग से एक चिकना द्रव निकलता है जिसे प्रोस्टेटिक द्रव कहते हैं। इसमें कभी-कभी शुक्राणु भी देखे गये हैं। संभोग के समय मांसपेशियों के सिकुड़ने के कारण, प्रोस्टेट से निकला तरल, अन्य जनन ग्रंथियों द्वारा बनने वाले गाढे तरल के साथ, मूत्र नलिका में निकलता हैं।

जब व्यक्ति कामोत्तेजित होकर सम्भोग क्रिया में संलग्न होता है, उस समय सेमिनल वेसाइकल और शुक्रवाहिका द्वारा स्रावित तरल शुक्राणुओं में मिलता है और फिर यह दो स्खलन नलिकाओं के माध्यम से प्रोस्टेट ग्लैंड के अंदर मूत्रमार्ग से जा मिलता है। प्रोस्टेट और बल्बोयूरेथ्रल ग्रंथियाँ, इसमे और अधिक स्रावों को जोड़ती हैं।

इस तरल का अंतिम और गाढ़ा स्वरुप ही वीर्य कहलाता है, जो चरम उत्तेजना के समय, शिश्न के माध्यम से बाहर निकल जाता है। आशा है Male Reproductive System पर दिया यह आलेख आपको पसंद आया होगा।

“चूँकि प्रोस्टेट ग्लैंड से निकलने वाले तरल में भी कुछ शुक्राणु उपस्थित होते हैं, इसीलिये परिवार नियोजन का वह तरीका सही नहीं है, जिसमें वीर्य निकलने से पहले ही लिंग को योनि से बाहर निकाल लिया जाता है।”

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