Last Updated on August 1, 2023 by Jivansutra

Meaning of The Hepatitis in Hindi

 

“हेपेटाइटिस, लीवर का एक गंभीर रोग है जिसमे यकृत पर सूजन आ जाती है। यह रोग मुख्यतः वायरस से फैलता है और दुनिया का सबसे बडा संक्रामक रोग है। एक अनुमान के अनुसार, पूरी दुनिया में हेपेटाइटिस से 250 करोड़ से भी ज्यादा लोग पीड़ित हैं, जिनमे से 45 करोड़ लोग, क्रोनिक हेपेटाइटिस से ग्रस्त हैं।”

 

Meaning of The Hepatitis in Hindi
हेपेटाइटिस में आराम करने से जल्दी लाभ होता है

Hepatitis Meaning in Hindi हेपेटाइटिस का अर्थ

Hepatitis का हिंदी में अर्थ है – यकृत शोथ, यकृत प्रदाह या जिगर की सूजन यानि Inflammation of Liver। हेपेटाइटिस लीवर का एक गंभीर संक्रामक रोग है, जिसमे यकृत पर सूजन आ जाने से उसकी कार्यक्षमता बुरी तरह से प्रभावित होती है। यह रोग इंसानों में साफ़-सफाई की कमी, गन्दा पानी पीने और संक्रमण आदि के कारण हो सकता है। चिकित्सकों के अनुसार, हेपेटाइटिस रोग से निपटने का सबसे कारगर तरीका, समय रहते इसके लक्षणों को पहचानना है।

क्योंकि तभी इसे आगे फैलने से रोका जा सकता है और रोगी की जान बचायी जा सकती है। हेपेटाइटिस शब्द की उत्पत्ति, यूनानी शब्द ‘हेपर’ से हुई है, जिसका अर्थ है – लीवर, तो इस तरह हेपेटाइटिस का शाब्दिक अर्थ है – लीवर की सूजन। हेपेटाइटिस की शुरूआती अवस्था में यकृत पर सिर्फ सूजन आती है, लेकिन अगर इसे इसी तरह से बढ़ते रहने दिया जाय और इसका उपचार न कराया जाय, तो इसके गंभीर परिणाम होते हैं।

क्योंकि फिर लीवर कोशिकाएँ नष्ट होने से लीवर फाइब्रोसिस या सिरोसिस हो सकता है। इसके अतिरिक्त हेपेटाइटिस से पीड़ित लोगों में, फैटी लीवर की समस्या भी काफी आम है। Hepatitis Meaning in Hindi में आज हम आपको हेपेटाइटिस के घातक रोग के कारण, लक्षण, प्रकार और उपचार के बारे में बतायेंगे। तो चलिये पहले जानते हैं, क्या हैं हेपेटाइटिस के कारण।

Main Causes of The Hepatitis in Hindi

यह हैं हेपेटाइटिस फैलने के मुख्य कारण

हेपेटाइटिस यानि लीवर की सूजन, मुख्य रूप से किसी बैक्टीरिया या वायरस के कारण उत्पन्न होती है। लेकिन कभी-कभी ज्यादा शराब पीने, नशीली दवाओं के सेवन या ऑटोइम्यून डिजीज की वजह से भी हेपेटाइटिस हो सकता है। वायरस से फैलने वाला हेपेटाइटिस गंभीर रूप भी धारण कर सकता है, जिससे प्रभावित व्यक्ति का जीवन खतरे में पड़ जाता है।

अगर समय पर उपचार न मिले, तो हेपेटाइटिस, जानलेवा लिवर सिरोसिस, लिवर फेल्योर, और लिवर कैंसर होने का कारण बन सकता है। हालाँकि हेपेटाइटिस फैलने का सबसे बड़ा कारण है, लोगों में इसके प्रति जागरूकता में कमी। हेपेटाइटिस से पीड़ित ज्यादातर लोग चिकित्सक के पास तभी जाते हैं, जब उनमे इसके लक्षण तेजी से उभरने लगते हैं।

और ऐसा अक्सर तभी होता है, जब इसका वायरस लीवर पर अपना दुष्प्रभाव डालने लगता है। अब हम आपको उन प्रमुख कारणों के बारे में बतायेंगे जिससे हेपेटाइटिस फैलता है –

गंदे भोजन और प्रदूषित जल से फैलता है हेपेटाइटिस

भारत जैसे विकासशील देशों में साफ़-सफाई आज भी बड़ी समस्या है, फिर चाहे शहर हो या गाँव। जहाँ-तहां गंदगी और प्रदूषण के कारण न सिर्फ हवा, बल्कि जमीन और पानी तक अशुद्ध हो गये हैं। चूँकि बिना पानी पिये कोई इन्सान ज्यादा देर तक जिन्दा नहीं रह सकता, इसीलिये अक्सर लोगों को सब कुछ जानते हुए भी मजबूरी में अशुद्ध जल का सेवन करना पड़ता है।

यह दूषित जल कई प्रकार की बीमारियों का स्रोत होता है, जिसके कारण हर वर्ष दुनिया भर में करोड़ों लोग बीमार पड़ते हैं। इन्ही जलजनित बीमारियों में से एक है हेपेटाइटिस A, जिसे सामान्य बोलचाल की भाषा में कभी-कभी पीलिया भी कह दिया जाता है। आमतौर पर हेपेटाइटिस A और हेपेटाइटिस E ही, दूषित पानी और भोजन के सेवन से फैलते हैं।

संक्रमित वस्तुओं के संपर्क में आने से होता है हेपेटाइटिस

संक्रमित जीवाणु युक्त चिकित्सा उपकरण जैसे कि कैंची, सुई या सिरिंज और टैटू में इस्तेमाल होने वाली सुई भी, हेपेटाइटिस के प्रमुख कारणों में से एक है। क्योंकि अगर ऐसी कोई संक्रमित वस्तु, किसी स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रविष्ट होकर उसके खून के संपर्क में आ जाय, तो वह हेपेटाइटिस का शिकार हो जायेगा। यहाँ तक कि एक्यूपंक्चर भी, संक्रमित सुई के माध्यम से यह खतरनाक रोग फैला सकता है। हेपेटाइटिस बी और सी, इस तरह से फैलने वाले प्रमुख हेपेटाइटिस हैं।

रक्त जैसे शारीरिक द्रव्यों के संक्रमण से होता है हेपेटाइटिस

संक्रमित शारीरिक द्रव्य जैसे कि प्रदूषित रक्त और वीर्य के संपर्क में आने से, व्यक्ति तुरंत ही हेपेटाइटिस जैसे जानलेवा रोग का शिकार बन जाता है। वह लोग जिनके शरीर में ब्लड ट्रांस्फ्युजन किया जाता है और जो सेक्स वर्कर का काम करते हैं, उन्हें इस प्रकार से हेपेटाइटिस होने का ज्यादा खतरा रहता है। आमतौर पर हेपेटाइटिस बी, सी, और डी ही संक्रमित व्यक्ति के मूत्र, रक्त, रक्त उत्पाद और वीर्य के संपर्क में आने से फैलते हैं, इसीलिये जहाँ तक हो सके, असुरक्षित शारीरिक संसर्ग से बचना चाहिये।

ज्यादा शराब पीने से होता है हेपेटाइटिस

शराब यानि एल्कोहल भी हेपेटाइटिस होने की बड़ी वजहों में से एक है। विशेषकर हेपेटाइटिस B का तो इसे मुख्य कारण समझा जाता है। शराब लीवर की मुख्य कार्यकारी यूनिट हेपेटोसाईटस को बहुत नुकसान पहुँचाती है और वह तेजी से मरने लगती हैं। जो लोग ज्यादा शराब पीते हैं, उन्हें हेपेटाइटिस होने का खतरा बहुत ज्यादा होता है। क्रोनिक हेपेटाइटिस के शिकार भी ऐसे ही लोग ज्यादा बनते हैं, जो आये दिन शराब का सेवन करते हैं।

दवाओं से भी हो सकता है हेपेटाइटिस

कई बार ज्यादा दवाओं के सेवन से भी इस रोग का खतरा पैदा हो जाता है। लीवर पर बुरा प्रभाव डालने वाली विशेष एलोपैथी औषधियाँ और कीमोथेरेपी में इस्तेमाल होने वाली ड्रग्स, दवाओं से होने वाले हेपेटाइटिस का मुख्य कारण हैं। हालाँकि इस प्रकार का हेपेटाइटिस आम तौर पर अस्थायी होता है, पर फिर भी ऐसी दवाइयों को चिकित्सक की विशेष निगरानी में ही लेना चाहिये।

गर्भवती माँ से बच्चे में हो सकता है हेपेटाइटिस

अगर कोई स्त्री गर्भवती है और हेपेटाइटिस से पीड़ित है, तो इस रोग के उसके बच्चे में संक्रमित होने की काफी संभावना रहती है – गर्भावस्था के दौरान भी और प्रसव के समय भी। इसलिये हेपेटाइटिस से पीड़ित गर्भवती स्त्रियों की चिकित्सक की विशेष देखरेख की आवश्यकता होती है। यहाँ तक कि किसी परिजन से भी बच्चे को यह बीमारी लग सकती है।

Types of The Hepatitis in Hindi with Images

हेपेटाइटिस के उपर दिये कारणों से आप समझ ही गये होंगे कि यह एक संक्रामक रोग है और कई प्रकार से फ़ैल सकता है। हेपेटाइटिस फ़ैलाने वाले विषाणुओं (वायरस) के आधार पर, हेपेटाइटिस पाँच प्रकार का होता है – हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई। यह पाँचों हेपेटाइटिस बहुत खतरनाक होते हैं, क्योंकि यह न सिर्फ व्यक्ति को बीमार करते हैं, बल्कि हर साल इनके कारण दुनिया भर में 20 से 30 लाख लोगों की मौत हो जाती है।

इतना ही नहीं यह वायरस आसानी से फैलकर, महामारी का रूप भी धारण कर लेते हैं। अगर समय रहते इन सभी हेपेटाइटिस का उपचार न कराया जाय, तो यह आगे चलकर लाइलाज सिरोसिस और लीवर कैंसर का कारण बन जाते हैं। आइये अब इनके बारे में संक्षिप्त रूप से जानते हैं –

कितने प्रकार का होता है हेपेटाइटिस

1. सभी हेपेटाइटिस रोगों में हेपेटाइटिस A सबसे कम खतरनाक होता है। यह संक्रमित भोजन और प्रदूषित जल से फैलता है।

2. हेपेटाइटिस B रक्त और शारीरिक द्रव्यों के आदान-प्रदान से फैलता है और यह बहुत ही खतरनाक होता है। अगर जल्दी इलाज न कराया जाय, तो इसका संक्रमण आम तौर पर स्थायी सिद्ध होता है।

3. हेपेटाइटिस B की तरह हेपेटाइटिस C भी बहुत ही ज्यादा खतरनाक हैं या यूँ कहें कि यह हेपेटाइटिस B से भी ज्यादा खतरनाक माना जाता है। यह भी शारीरिक द्रव्यों के आदान-प्रदान से फैलता है।

4. हेपेटाइटिस D उन लोगों को होता है जो पहले से ही हेपेटाइटिस B के वायरस से संक्रमित रहते हैं। ऐसे लोगों को जान का जोखिम ज्यादा रहता है।

5. हेपेटाइटिस E भी एक जलजनित रोग है और इसके व्यापक प्रकोप का कारण दूषित पानी या भोजन की आपूर्ति है। प्रदूषित पानी इस महामारी को और ज्यादा बढ़ा देता है।

इन सभी हेपेटाइटिस में हेपेटाइटिस ए और ई, संक्रमित भोजन और पानी से फैलते हैं। आमतौर पर इनसे पीड़ित रोगी इलाज के बाद पूरी तरह से ठीक हो जाता है। हेपेटाइटिस ए से बचाव के लिए तो टीका भी उपलब्ध है। अन्य लोगों की तुलना में हेपेटाइटिस ई गर्भवती औरतों के लिए ज्यादा घातक होता है।

यह हेपेटाइटिस होते हैं ज्यादा खतरनाक

इन सभी हेपेटाइटिस में हेपेटाइटिस बी और सी ही सबसे ज्यादा खतरनाक होते हैं, क्योंकि यह सैकड़ों-हजारों में नहीं, बल्कि लाखों लोगों में गंभीर बीमारियों का कारण बनते हैं। जानकारी के लिये बता दें कि हेपेटाईटिस बी विश्व का सबसे ज्यादा सामान्य लीवर संक्रमण है। दुनिया में 200 करोड़ लोग इससे संक्रमित हैं और उनमे से 30 करोड़ लोग इसके चिरकालिक यानि क्रोनिक संक्रमण से पीड़ित हैं।

अर्थात वे इससे कभी भी मुक्त नहीं हो सकेंगे। इसी तरह हेपेटाइटिस सी भी आज एक महामारी का रूप धारण कर चुका है। एक अनुमान के अनुसार, दुनिया भर में 27 से 30 करोड़ लोग, हेपेटाइटिस सी से संक्रमित हैं। हेपेटाइटिस बी के वायरस को शरीर से पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता है, हालांकि, कुछ दवाइयों के प्रभाव से इसके वायरस को बढ़ने से रोका जा सकता हैं।

आज हेपेटाइटिस बी की वैक्सीन उपलब्ध है, जो व्यक्ति को इसके संक्रमण से बचा सकती है। लेकिन हेपेटाइटिस सी का कोई टीका उपलब्ध नहीं है। हालांकि इसकी कुछ दवाइयाँ हैं, जिनके सेवन से 95 प्रतिशत से ज्यादा रोगी ठीक हो जाते हैं। हेपेटाइटिस डी होने का खतरा, उन रोगियों को ज्यादा रहता है, जिन्हें पहले से हेपेटाइटिस बी का संक्रमण होता है। हेपेटाइटिस डी का इलाज उपलब्ध नहीं है और बचाव ही इससे बचने का एकमात्र उपाय है।

Major Symptoms of The Hepatitis in Hindi

यह हैं हेपेटाइटिस के प्रमुख लक्षण

पाँचों हेपेटाइटिस यानि हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई के लक्षण आम तौर पर एक जैसे ही होते हैं। फिर भी इनके कुछ प्रमुख लक्षण हैं, जिन्हें हर व्यक्ति को ध्यान में रखना चाहिये –

1. लीवर में अक्सर सूजन और जलन की शिकायत बने रहना।

2. भूख का ख़त्म होना और अपच की शिकायत बने रहना।

3. अक्सर थकान बने रहना और खुद को बीमार महसूस करना।

4. लीवर में दर्द होने के साथ-साथ उल्टियाँ आना।

5. बार-बार पीलिया होना और जल्दी से ठीक नहीं होना।

6. शरीर में पानी रुकने से हाथ पैरों और पेट का फूलना।

सावधान रहें हेपेटाइटिस के इन लक्षणों से

7. त्वचा का ज्यादा संवेदनशील हो जाना।

8. सिरदर्द और चिडचिडापन बने रहना।

9. सफ़ेद या काले दस्त आना।

10. गहरे भूरे रंग का पेशाब आना।

11. पेट में दर्द या पेट में सूजन आना।

12. अचानक शरीर नीला पड़ना या कहीं से खून आना।

अगर संक्रमण तीव्र हो, तो बहुत सीमित अथवा न के बराबर लक्षण नजर आते हैं। याद रखिये यह लक्षण, रोग पुराना होने के साथ और तेज हो सकते हैं और अगर इन पर वक्त रहते ध्यान न दिया जाय, तो कभी-कभी तुरंत मौत का भी कारण बन सकते हैं।

Prevention of The Hepatitis Disease in Hindi

हेपेटाइटिस से बचना चाहते हैं तो यह बातें ध्यान रखें

हेपेटाइटिस एक संक्रामक रोग है, क्योंकि इसका वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता हैं। हेपेटाइटिस से बचने के लिये और इसकी रोकथाम करने के लिये उन चीजों से बचना जरुरी है, जिनसे यह फैलता है।
उपर दिये गये हेपेटाइटिस के कारणों से आप आसानी से समझ सकते हैं कि इस रोग को फैलने से रोकने के लिये इन चीजों पर ध्यान देना बहुत जरुरी है –

1. प्रदूषित भोजन और अशुद्ध जल का सेवन कतई न करें। अगर ऐसे किसी क्षेत्र में आपको निवास करना पड़ ही जाय, तो जल को शुद्ध करने के लिये फिल्टर का प्रयोग करें।

2, असुरक्षित यौन संबंधों से बचें और कंडोम का प्रयोग करें। ध्यान रखिये, इस प्रकार का यौन संसर्ग, हेपेटाइटिस बी और सी के फैलने का दूसरा सबसे बड़ा कारण है।

3. शराब का सेवन न करें। अगर किये बिना रह ही नहीं सकते हैं, तो बेहद थोड़ी मात्रा में दवाई के रूप में लें।

ऐसा करना हो सकता है खतरनाक

4. बाहर की दुकानों और खुले में बिकने वाली चीजें न खायें, क्योंकि यह आसानी से संक्रमित हो जाती हैं।

5. संक्रमित रक्त और संक्रमित रक्त उत्पाद से बचें। आवश्यक जाँच करके ही इनका प्रयोग करें।

6. नशे के इंजेक्शन न लें और समूह में तो भूलकर भी एक ही सुईं का प्रयोग न करें।

7. जब कभी टैटू बनवायें तो टैटू बनाने वाले से नई सुई का प्रयोग करने को कहें।

8. हेपेटोटॉक्सिक ड्रग्स का सेवन, चिकित्सक की सलाह पर बड़े ध्यान से करें।

 

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