Last Updated on October 8, 2019 by Jivansutra
Female Reproductive System in Hindi with Images
“जनन तंत्र यानि Reproductive System, मनुष्य की उत्पत्ति में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। क्योंकि इसके माध्यम से ही जीव अपनी वंश वृद्धि कर सकता हैं। स्त्री और पुरुष दोनों के अन्दर, दो प्रकार के Sex Organs होते हैं, जिनमे एक शरीर के बाहर होता है और दूसरा शरीर के अन्दर।”
धरती का प्रत्येक जीव, फिर चाहे वह इन्सान हो या पशु-पक्षी, अपने वंश की वृद्धि करने तथा उसे चलाये रखने के लिये, जनन-क्रिया द्वारा अपने जैसा दूसरा जीव पैदा करता है। इस क्रिया द्वारा अपनी ही जाति के एक नये प्राणी को उत्पन्न करने को ‘प्रजनन’ कहा जाता है। प्रजनन की यह क्रिया सिर्फ सजीव प्राणियों में ही होती है, निर्जीवों में नहीं। हालाँकि सजीवों में भी अलग-अलग जीवों में, प्रजनन की व्यवस्था अलग-अलग होती है।
Reproductive System प्रजनन संस्थान का महत्व
जैसे अमीबा और जीवाणु जैसे एक कोशीय जीवों में अलैंगिक जनन (Asexual Reproduction) होता है, लेकिन मानव जैसे बहुकोशीय जीव में लैंगिक जनन (Sexual Reproduction) होता है। अर्थात नर और मादा के लैंगिक संसर्ग यानि संभोग के द्वारा, एक नये जीव (संतान) की उत्पत्ति होती है। इस प्रकार के प्रजनन से, संतान में, माता-पिता दोनों के आनुवांशिक गुण पहुंचते हैं।
चूँकि प्रजनन की क्रिया का प्रत्येक मनुष्य के जीवन में अनिवार्य रूप से महत्व है, इसीलिये आज हम Reproductive System पर विस्तार से चर्चा करेंगे। क्योंकि अच्छा स्वास्थ्य पाने के लिये प्रत्येक व्यक्ति को अपने शरीर के हर अंग की आधारभूत जानकारी होनी आवश्यक है और मनुष्य के प्रजनन अंग तो शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक हैं।
इसीलिये हमें उन बातों के बारे में जानने की आवश्यकता है, जिनसे हमारे यह अंग लंबे समय तक स्वस्थ रह सकें और एक दीर्घायु जीवन जीने में हमारी सहायता कर सकें। वैसे तो इस लेख में कहीं भी किसी प्रकार के अश्लील शब्द या चित्र का प्रयोग नहीं किया गया है, फिर भी हमारा यह द्रढ़ता से मानना है कि यदि आपकी आयु 18 वर्ष से अधिक है, तो ही आप इस लेख को पढ़ें।
Reproductive Organs in Hindi क्या हैं प्रजनन अंग
Sex Organs या प्रजनन अंगों को Reproductive Organs और Primary Sex Organ के नाम से भी जाना जाता है। आम तौर पर यह हर स्त्री-पुरुष के शरीर में होते हैं। हालाँकि सभी में इनका विकास एक-समान नहीं होता। प्रजनन अंगों का विकास, कोशिकाओं के संवर्द्धन के फलस्वरूप होता है। शरीर से बाहर जो प्रजनन अंग स्पष्ट रूप से दिखते हैं, उन्हें External या Primary Sex Organs कहते हैं।
इन्हें Genitals (जेनिटल्स) या Genitalia के नाम से भी जाना जाता है। शरीर के अन्दर जो प्रजनन अंग स्थित होते हैं, उन्हें Internal या Secondary Sex Organs कहते हैं। कभी-कभी इन्हें Internal Genitalia (आंतरिक जननांग) के नाम से भी पुकारा जाता है।
कैसा होता है पुरुषों और स्त्रियों का प्रजनन तंत्र
पुरुषों और स्त्रियों के जनन-अंगों की संरचना और कार्य अलग-अलग होते हैं। दोनों के अन्दर विशिष्ट जनन कोशिकाएं होती हैं। पुरुष की जनन कोशिका को शुक्राणु (Sperm) और स्त्री जनन कोशिका को अंडाणु (Ovum) कहते हैं। इन्हें युग्मक (Gamete) भी कहते हैं। जब पुरुष और स्त्री के आपसी मैथुन से, शुक्राणु और अंडाणु का मिलन होता है, तो इनके संयोग से एक सम्मिलित कोशिका बनती है।
जिसे युग्मनज या जाइगोट (Zygote) कहते हैं। यही कोशिका, स्त्री के गर्भाशय में विकसित होकर, 9 महीने पश्चात एक नये जीव (शिशु) का आकार ले लेती है। पुरुष के प्रजनन संस्थान का कार्य, शुक्राणुओं को पैदा करना तथा लिंग के माध्यम से उन्हें स्त्री की योनि में संचारित करना है। जबकि स्त्री का प्रजनन तंत्र, अंडे (Ova) पैदा करने के अलावा, गर्भाधान (Fertilization) के बाद विकसित होने वाले भ्रूण का पोषण और सुरक्षा भी करता है।
सिर्फ इतना ही नहीं, स्त्रियों का Reproductive System, बच्चे का जन्म होने के बाद, उसके पोषण के लिए, स्तनों में दूध का उत्पादन भी करता है। इसीलिये पुरुषों की तुलना में स्त्रियों के प्रजनन-तन्त्र की संरचना कुछ ज्यादा ही जटिल होती है। Female Reproductive System in Hindi में, आज हम स्त्री प्रजनन संस्थान का ही वर्णन करेंगे। पुरुषों के प्रजनन अंगों के बारे में जानने के लिये नीचे दिये लिंक पर क्लिक करें।
External Reproductive System of Female in Hindi
Woman’s Reproductive System स्त्री प्रजनन संस्थान
स्त्रियों के शरीर के वह अंग जो मानव की उत्पत्ति के लिये उत्तरदायी हैं, स्त्री प्रजनन तंत्र (Female Reproductive System) के अंतर्गत आते हैं। इनमे योनि, गर्भाशय, फैलोपियन ट्यूब और अंडाशय प्रधान अंग हैं। अंडाशय में अंडाणुओं का निर्माण होता है, जबकि गर्भाशय में भ्रूण का विकास होता है। संभोग के समय पुरुष के वीर्य में उपस्थित शुक्राणु, योनिपथ से होते हुए गर्भाशय में पहुँचता है और अंडाणु से मिलकर भ्रूण के रूप में परिवर्तित हो जाता है।
यही भ्रूण परिपक्व होने पर नवजात शिशु के रूप में पैदा होता है। स्त्रियों के प्रजनन तंत्र को Female Genital System भी कहते हैं। चूँकि स्त्रियों के यौनांग अत्यंत सुकोमल होते हैं, इसीलिये प्रकृति ने इनकी सुरक्षा की विशेष व्यवस्था की है। यह श्रोणि भाग (Pelvic Region) में स्थित होते हैं। स्त्रियों के बाहरी और आंतरिक यौन/प्रजनन अंगों के नाम इस प्रकार हैं –
बाहरी प्रजनन अंग: भग (Vulva), भगशेफ या भग-शिश्न (Clitoris), योनिच्छेद या हाईमेन (Hymen) और कर्ण कोटर ग्रंथियाँ (Vestibular Glands)।
आंतरिक यौनांग: योनि (Vagina), गर्भाशय (Uterus), डिम्ब नलिकाएँ (फैलोपियन ट्यूब) और अंडाशय (Ovaries)।
Functions of Reproductive System प्रजनन संस्थान के कार्य
1. स्त्री प्रजनन संस्थान (Female Reproductive System) के महत्वपूर्ण कार्य इस प्रकार हैं –
2. स्त्री के शरीर में अंडाणुओं का निर्माण करना।
3. शुक्राणु को ग्रहण करना।
4. उर्वरण और भ्रूण के विकास के लिये उपयुक्त वातावरण उपलब्ध कराना।
5. बच्चे को जन्म देना।
6. नवजात शिशु के पोषण हेतु उसके जीवन के शुरुआती दिनों में स्तनों में दूध (Breast Milk) का निर्माण करना।
1. Vulva in Hindi स्त्री का बाहरी यौनांग है भग
स्त्रियों के जो प्रजनन अंग शरीर से बाहर स्थित होते हैं, उन्हें बाह्य यौनांग (External Sex Organs या External Genitals) कहते हैं। इनमे सबसे मुख्य है – भग (Vulva), जिसे चूत भी कहते हैं। वास्तव में स्त्री के समस्त बाहरी यौनांगों को सामूहिक रूप से भग के नाम से संबोधित किया जाता है। भग शब्द का सामान्य अभिप्राय, स्त्री के बाहर से दिखाई देने वाले जननांग से है।
ज्यादातर लोग भग को ही योनि समझते हैं, पर वस्तुतः ऐसा नहीं है। क्योंकि जहाँ भग बाहर से दिखाई देने वाली संरचना है, वहीँ योनि एक विशिष्ट आन्तरिक संरचना है जो नलिका सदृश होती है और भग को गर्भाशय से जोडती है। बाहर की ओर से देखने पर भग में दो माँसल संरचनायें दिखायी देती हैं, जिन्हें भग के होंठ या भगोष्ठ कहते हैं।
वहीँ भग के सबसे उपरी सिरे पर, कुछ अंदर की ओर ‘भगांकुर’ यानि ‘क्लिटोरिस’ होती है। भग में जघन शैल, वृहद भगोष्ठ, लघु भगोष्ठ, भग-शिश्न, योनिद्वार, बरोठा या ड्योढ़ी, हैमेन और कर्ण कोटर ग्रंथियाँ सम्मिलित हैं। इन सभी के बारे में विस्तार से जानने के लिये Vulva Meaning in Hindi और Female Body Parts Name in Hindi नामक लेख पढ़ें।
Internal Reproductive System of Female in Hindi
1. Vagina in Hindi स्त्री योनि
स्त्री के आंतरिक जननांग या भग के अंदरूनी हिस्से को योनि या वेजाइना कहते हैं। यह त्वचा की कई परतों से बनी होती है, जो भीतरी अंगों को सुरक्षा प्रदान करती है। यह गर्भाशय से योनि प्रघाण तक फैली हुई लगभग 8 से 10 सेमी लम्बी नली है, जो मूत्राशय एवं मूत्रमार्ग के पीछे तथा मलाशय एवं गुदामार्ग के सामने स्थित होती है। इसका निचला सिरा शरीर के बाहर खुलता है।
एक वयस्क स्त्री के शरीर में योनि की पिछली भित्ति उसकी अगली भित्ति से ज्यादा लम्बी होती है और उसकी योनि गर्भाशय के साथ समकोण बनाती है। योनि की भित्तियां मुख्यतः चिकनी पेशी एवं फाइब्रोइलास्टिक संयोजी ऊतक की बनी होती है जिससे इनमें फैलने का गुण बहुत अधिक होता है, साथ ही इनमें रक्त वाहिनियों एवं तंत्रिकाओं की आपूर्ति भी होती है।
योनि की दीवारें (भित्तियाँ) पेशीय परत और श्लेष्मिक परत से मिलकर बनी होती है। योनि को मैथुन कक्ष (Copulation Chamber) भी कहते हैं, क्योंकि स्खलन के समय शुक्राणु, इसी के द्वारा गर्भाशय तक पहुँचते हैं और अंडे के साथ मिलकर निषेचन की प्रक्रिया संपन्न करते हैं। योनि का आन्तरिक वातावरण, लैक्टिक एसिड के कारण अम्लीय प्रकृति का होता है।
2. Cervix in Hindi गर्भाशय की ग्रीवा
गर्भाशय की गर्दन को सर्विक्स (Cervix) कहते हैं, जो इसका तंग और निचला हिस्सा है। यहीं पर गर्भाशय, योनि के उपरी हिस्से से जुड़ता है। दूसरे अर्थों में कहें तो गर्भाशय का मुख योनि में खुलता है। यह बेलनाकार या शंक्वाकार होता है और उपरी अंदरूनी योनि भित्ति से बाहर को निकला रहता है। इसकी लगभग आधी लम्बाई ही दिखायी देती है, जबकि बाकी बचा हिस्सा, योनि के उपर इस प्रकार से अवस्थित होता है कि उसे देखा नहीं जा सकता।
बाहर की तरफ की योनि की दीवारें मोटी होती हैं और सर्विक्स वह छिद्र है, जहाँ बच्चा डिलीवरी के दौरान दिखायी देता है। गर्भाशय को तीन भागों में विभक्त किया जा सकता है। ऊपरी भाग फंडस (Fundus), बीच का भाग काया (Body) तथा सबसे निचला भाग ग्रीवा (Cervix) कहलाता है। गर्भाशय की गर्दन में होने वाले कैंसर को सर्विकल केंसर (Cervical Cancer) या योनि कैंसर कहते है।
3. Uterus in Hindi गर्भाशय
गर्भाशय या यूट्रस बड़ा ही महत्वपूर्ण स्त्री जननांग (Female Reproductive Organ) है, जो श्रोणि गुहा (Pelvic Cavity) के मध्य मे स्थित होता है। इसे वोम्ब भी कहते हैं। यह मजबूत माँसपेशियों से बना एक थैलेनुमा अंग है, जिसकी संरचना किसी उल्टी रखी हुई नाशपाती की तरह होती है। गर्भाशय में तीन भित्तियाँ होती हैं।
सबसे बाहरी भित्ति को परिगर्भाशय या पेरीमेट्रियम (Perimetrium), मध्य भित्ति को पेशीस्तर या मायोमेट्रियम (Mayometrium) तथा सबसे अंदरूनी भित्ति को अंतस्तर या एंडोमेट्रियम (Endometrium) कहते है। गर्भाशय विकसित होते हुए भ्रूण और गर्भ की, यांत्रिक सुरक्षा तथा पोषण में मदद देने के साथ-साथ वेस्ट हटाने में भी सहायता करता है।
इसके अलावा गर्भाशय की माँसल दीवारों में होने वाला संकुचन, जन्म के समय गर्भ को बाहर धकेलने में भी मदद करता है। गर्भाशय का मुख्य उद्देश्य निषेचित हो चुके अंडाणु को स्वीकार करना है, जिसे फिर एंडोमेट्रियम में स्थापित कर दिया जाता है। इसके अलावा गर्भाशय, भ्रूण के विकास के लिये, रक्त वाहिनियों से पोषण भी हासिल करता है।
4. Ovaries in Hindi अंडाशय
अंडाशय स्त्रियों के Primary Sex Organ हैं जिनमे अंडे संरक्षित होते हैं। यह श्रोणि गुहा (Pelvic Cavity) की दीवारों के समीप स्थित दो छोटे-छोटे अंग हैं, जो मेरु रज्जु (Spinal Cord) के दोनों ओर अवस्थित होते हैं। हर अंडाशय एक लिगामेंट्स द्वारा गर्भाशय से जुड़ा रहता हैं। प्रत्येक अंडाशय 3 सेमी लंबा 2 सेमी चौड़ा तथा 1 सेमी मोटा होता है। स्त्री के शरीर में अंडाणु कोशिकाओं का उत्पादन, इन्ही के अन्दर होता है और यही एस्ट्रोजन तथा प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन्स का स्राव भी करते हैं।
अंडाशय तीन परतों द्वारा घिरा रहता है। सबसे बाहरी परत को पेरिटोनियम (Peritoneum), मध्य परत को जनन एपिथीलियम (Germinal Epithelium) तथा सबसे भीतरी परत को टयुनिका एल्बूजीनिया (Tunica Albuginea) कहते है। इन परतों से घिरा हुआ, अंडाशय का आंतरिक भाग स्ट्रोमा (Stroma) या पीठिका कहलाता है।
5. Fallopian Tubes in Hindi डिम्बवाहिनी
प्रत्येक अंडाशय से एक लम्बी और कुंडलित (मुड़कर घूमती हुई) नलिका निकलती है, जिसे फैलोपियन ट्यूब्स या डिम्बवाहिनी (Oviduct) कहते हैं। इस नलिका को अंडवाहिनी के नाम से भी पुकारा जाता है। यह लगभग 10 से 12 सेमी लम्बी होती है और इसके तीन भाग होते हैं – कीपक (Infundibulum), तुम्बिका (Ampulla), और संकीर्ण पथ (Isthumus)।
कीपक: फैलोपियन ट्यूब का कीपक भाग अंडाशय को घेरे रखता है। इस पर ऊँगली जैसे उभार होते हैं, जिन्हें झालर या फिम्ब्री कहते हैं। अंडोत्सर्ग (Ovulation) के दौरान निकलने वाला अंडाणु, इस फिम्ब्री के द्वारा ही ग्रहण किया जाता है।
तुम्बिका: फैलोपियन ट्यूब का जो चौडा हिस्सा कीपक से जुडा रहता है, उसे तुम्बिका (एम्पुला) कहते हैं।
संकीर्ण पथ: फैलोपियन ट्यूब का एम्पुला से आगे का हिस्सा संकरा होता है और इस भाग को इस्थमस कहते हैं।
दोनों फैलोपियन ट्यूब्स, दोनों अंडाशय से निकलकर, गर्भाशय में जाती हैं। जब अंडाणु परिपक्व हो जाता है तो रोमकूप (फोलिकल) और अंडाशय की दीवारें फट जाती हैं, जिससे अंडाणु आसानी से निकलकर फैलोपियन ट्यूब्स में प्रवेश कर जाता है। यहाँ से यह सिलिया के मूवमेंट्स के जरिये गर्भाशय की ओर बढ़ता है।
अंडाणु की इस यात्रा में कई दिन लग सकते हैं। अगर अंडाणु फैलोपियन ट्यूब्स में रहते-रहते ही निषेचित हो जाता है, तो यह एंडोमेट्रियम में पहुँच जाता है। इसे ही गर्भावस्था की शुरुआत समझा जाता है। एम्पुला तथा इस्थमस के संधि स्थल (Connective Site) पर ही निषेचन (Fertilization) की प्रक्रिया संपन्न होती है।
Associary Glands in Hindi सहायक जनन ग्रंथियाँ
Female Reproductive System के अंतर्गत चार सहायक जनन ग्रंथियाँ भी आती हैं, जो स्त्री प्रजनन तंत्र की नलिका प्रणाली (Duct System) का स्नेहन (लुब्रीकेशन) करने वाले तरल पैदा करती है। सहायक जनन ग्रंथियों से उत्पन्न होने वाले स्राव को योनि द्रव कहते हैं, जिसमे कुछ महत्वपूर्ण एंजाइम्स भी होते हैं।
यह चार ग्रंथियाँ हैं – बर्थोलिन ग्रंथि (Bartholin Gland), स्केनी ग्रंथि (Skene Gland), पेरीनियल ग्रंथि (Perineal Gland) और रेक्टल ग्रंथि (Rectal Gland)। आइये अब एक-एक करके इनके बार में संक्षिप्त रूप से जानते हैं –
1. बार्थोलिन ग्रंथि (Bartholin Gland)
स्त्रियों के शरीर में दो बार्थोलिन ग्रंथियाँ होती है, जो योनि के दोनों तरफ पायी जाती है। यह ग्रंथियाँ, योनिमुख (Vaginal Orifice) के दोनों ओर खुलती है और पुरुषों में पायी जाने वाली बल्बोंयूरोथल ग्रंथि (Bulbourethral Gland) के समान होती है। इनसे निकलने वाला रस स्नेहक (Lubricant) का कार्य करता है और योनि मार्ग को चिकना बनाता है।
2. स्किनी ग्रंथि (Skene Gland)
स्किनी ग्रंथियाँ छोटी-छोटी ग्रंथियां होती है जो स्त्रियों के मूत्राशय के चारों ओर पाई जाती है। यह ग्रंथि पुरुषों में पायी जाने वाली प्रोस्टेट ग्रंथि (Prostate Gland) के समान ही होती है और श्लेष्मा (Mucus) का स्राव करती है।
3. पेरेनियल ग्रंथि (Perineal Gland)
पेरेनियल ग्रंथि, बार्थोलिन ग्रंथियों (Bartholin Gland) के ठीक पीछे अवस्थित होती है। इनकी संख्या भी दो होती है। इन ग्रंथियों से स्रावित होने वाला रस, फेरेमोन (Pheromone) की तरह काम करता है, जो स्त्रियों के शरीर में उत्तेजना उत्पन्न करता है।
4. रेक्टल ग्रंथि (Rectal Gland)
रेक्टल ग्रंथि, मलाशय (Rectum) के दोनों ओर स्थित होती है। इनसे निकलने वाला स्राव भी शरीर में उत्तेजना पैदा करता है। पेरेनियल ग्रंथि और रेक्टल ग्रंथि की महत्वपूर्ण भूमिका सम्भोग के समय प्रकट होती है जो स्त्रियों को उत्तेजना के चरम पर (ओर्गास्म), पहुँचने में मदद करती हैं।
Female Reproductive System या स्त्री जनन तंत्र, स्त्री के आन्तरिक और बाह्य यौन अंगों से मिलकर बना शरीर का एक महत्वपूर्ण तंत्र है, जो इंसानों की उत्पत्ति के लिये अपरिहार्य है। इस लेख में हमने स्त्रियों के प्रजनन संस्थान का विस्तार से वर्णन किया है, जिससे हर विद्यार्थी लाभ उठा सकता है।
“स्त्रियों का प्रजनन संस्थान न केवल पुरुषों के जनन तंत्र की तुलना में ज्यादा जटिल है, बल्कि यह ज्यादा शक्तिशाली, ज्यादा सहनशील और ज्यादा संवेदनशील भी है।”