Last Updated on October 20, 2019 by Jivansutra
Teeth Meaning and Types of The Teeth in Hindi
“आपके मस्तिष्क और दिल की तरह, आपके दांत उसी दिन से काम करने लायक नहीं होते, जिस दिन आप जन्म लेते हैं। हालाँकि बच्चों के पहले दांत की शुरुआत, उनके जन्म से पहले ही शुरू हो जाती है। लेकिन दांत तब तक नहीं दिखायी देते, जब तक कि बच्चे 6 से 12 महीने के नहीं हो जाते।”
Teeth Meaning in Hindi: टीथ का अर्थ
Teeth का अर्थ है – दांत, दन्त, यह Tooth शब्द का बहुवचन है। दांत, मुंह (जबड़ों) में स्थित सफेद रंग की छोटी मगर कठोर संरचनाएं हैं जो ज्यादातर कशेरुक प्राणियों में पायी जाती है। आम तौर पर दांत, भोजन को काटने, चीरने और चबाने के काम आते हैं, लेकिन मांसभक्षी पशु, शिकार करने एवं रक्षा करने के लिये भी दांतों का उपयोग करते हैं। दांतों की जड़ें मसूड़ों से ढ़की होतीं हैं।
दांत (Teeth in Hindi) मनुष्य के जीवित रहने के लिये अनिवार्य भले ही न हों, लेकिन यह शरीर का एक महत्वपूर्ण अवयव अवश्य हैं। इनके बिना जिंदगी कैसी हो जाती है, यह जानना हो तो उन वृद्धजनों से पूछिये, जिनके मुँह में अब दांत नहीं बचे हैं। स्वादिष्ट भोजन का सही प्रकार से स्वाद लेना चाहते हैं, तो दांतों की मदद लेनी ही पड़ेगी।
दांत न केवल भोजन को काटने, कुतरने और चबाने के लिये आवश्यक हैं, बल्कि यह उसे निगलने और पचाने में भी बहुत सहायता करते हैं। मनुष्य के सुंदर चेहरे की सुन्दरता, बहुत हद तक दाँतों पर भी निर्भर करती है। जरा उन वृद्ध लोगों के पिचके हुए मुख को देखिये, जिनके सभी दांत निकल गये हैं।
क्योंकि यदि दांत निकल जाँय तो जबड़े का बहुत हिस्सा खाली हो जाता है और गाल अन्दर की ओर धँस जाते हैं। Teeth Meaning and Types in Hindi में आज हम आपको दाँतों के अर्थ, उनके प्रकार और उनसे जुड़े आश्चर्यजनक तथ्यों के बारे में बतायेंगे
Types of The Human Teeth in Hindi
हमारे मुख में चार प्रकार के दाँत होते हैं – छेदक या कृंतक दांत (Incisor Teeth), भेदक या रदनक दांत (Canine Teeth), अग्रचर्वणक दांत (Premolar Teeth) और चर्वणक दांत (Molar Teeth)। दाँतों को उनके कार्य के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है – जैसे कृंतक दांत काटने का काम करते हैं, रदनक दांत फाड़ने का तथा अग्रचर्वणक और चर्वणक दांत चबाने का काम करते हैं।
1. Incisor Teeth in Hindi छेदक या कृंतक दांत
★ मुख खोलते ही जबड़े के मध्य में जो चार दांत होते हैं, इन्हें कृंतक या छेदक दांत कहते हैं। उपरी और निचले दोनों जबड़ों को मिलाकर कुल आठ Incisor Teeth होते हैं। इन दाँतों का शिखर या उपरी सिरा चौड़ा और निचला सिरा संकरा होता है।
★ इनका किनारा समतल तथा धारदार किनारा काटने ले लिये बिल्कुल उपयुक्त होता है। इनकी जड़ लम्बी, एकाकी, नुकीली, अनुप्रस्थ में चिपटी और बगल में खाँचेदार होती है।
2. Canine Teeth in Hindi भेदक या रदनक दांत
★ अंतिम कृंतक दांत के ठीक पीछे, एक रदनक दांत होता है। इस प्रकार से उपर-नीचे और दायें-बाएँ, हमारे मुख में कुल चार भेदक दांत (Canine Teeth) होते हैं। यह छेदक दांत की तुलना में बड़े और शक्तिशाली होते हैं। चीज़ों को चीरने-फाड़ने के लिये इनकी आकृति आदर्श है, क्योंकि यह ऊपर से नुकीले और खांचेदार होते हैं।
★ इन दाँतों की जड़ लम्बी और उत्तल, शिखर बड़ा, शंकुरूप, ओठ का पहलू उत्तल और जिह्वापक्ष कुछ खोखला और खुरदरा होता है। भेदक दाँत का दंतमूल शंकुरूप, एकाकी और खाँचेदार होता है।
3. Premolar Teeth in Hindi अग्रचर्वणक दांत
★ Canine Teeth के ठीक पीछे अग्रचर्वणक दांत होते हैं और यह दो-दो की संख्या में भेदकों के पीछे स्थित होते हैं। इस तरह से हमारे मुँह में 8 अग्रचर्वणक दांत होते हैं ये भेदकों से छोटे होते हैं तथा इनका शिखर आगे से पीछे की ओर सिमटा होता है।
★ शिखर के मस्तक पर एक खाँचे से विभक्त दो पिरामिडल गुलिकाएँ होती हैं। इनमें ओठ की ओरवाली गुलिका बड़ी होती है। अग्रचर्वणक दांत की गर्दन अंडाकार और दंतमूल एक होता है, सिवाय ऊपर के प्रथम अग्रचर्वणक के, जिसमें दो मूल होते हैं।
4. Molar Teeth in Hindi चर्वणक दांत
★ चर्वणक दांत स्थायी दाँतों में सबसे बड़े, चौड़े शिखरयुक्त तथा चर्वण क्रिया (चबाने, पीसने) के लिये विशेष रूप से डिजाईन होते हैं। इनकी संख्या 12 होती है – अग्रचर्वणक दाँतों के बाद सब ओर तीन, तीन की संख्या में। इनका शिखर घन की आकृति जैसा होता है और इनकी भीतरी सतह उत्तल और बाहरी चिपटी होती है।
★ इस दांत के मस्तक (सबसे उपर) पर चार या पाँच गुलिकाएँ होती हैं। ग्रीवा स्पष्ट बड़ी और गोलाकार होती है। प्रथम चर्वणक दांत सबसे बड़ा और तीसरा दांत सबसे छोटा होता है। तीसरे दांत को अक्कल दाढ़ भी कहते हैं।
★ ऊपर के जबड़े के चर्वणकों में तीन मूल होते हैं, जिनमें दो गाल की ओर और तीसरा जीभ की ओर होता है। तीसरे चर्वणक के सूत्र बहुधा आपस में समेकित होते हैं। नीचे के चर्वणकों में दो मूल होते हैं, एक आगे और एक पीछे।
Structure of The Human Teeth in Hindi
मनुष्य के दाँतों की संरचना से जुड़े तथ्य
1. दाँतों का विकास (Tooth development या Odontogenesis) एक जटिल प्रक्रिया है और इनके निर्माण का कार्य गर्भावस्था (Pregnancy) के छठे सप्ताह में ही होना आरंभ हो जाता है। जब दाँतों का विकास इतना हो जाता है कि वह बाहरी दबाव को सह सकें, तब वह मसूड़ों से बाहर निकल आते हैं। दाँतों के निकलने की एक निश्चित अवधि है और यह व्यक्ति की आयु को जानने का आधार है।
2. जैसे निचले छेदक दांत 6 से 9 महीने की उम्र में निकलते हैं, वहीँ उपर के छेदक दांत 8 से 10 महीने की उम्र में निकलते हैं। सबसे बाद में चर्वणक दांत निकलते हैं, जो 20 से 24 या 30 महीने बाद निकलते हैं। होल्ट के अनुसार एक वर्ष के बालक में 6, डेढ़ वर्ष में 12 और दो वर्ष में 20 दाँत मिलते हैं।
3. प्रत्येक दांत के दो भाग होते हैं – दंतशिखर और दन्तमूल। मसूड़े के बाहर रहनेवाला भाग दंतशिखर कहलाता है, जबकि जबड़े के अन्दर गर्त में स्थित अंश, दंतमूल कहलाता हैं। शिखर और मूल का संधिस्थल, दंतग्रीवा है।
4. दाँत का मुख्य और सबसे बड़ा भाग है – दंतास्थि (डेंटीन, Dentine)। अगर दंतास्थि विशेष रूप से सुरक्षित न रहे, तो यह घिस सकती है, इसीलिये यह दंतशिखर में, इनेमल नामक एक अत्यंत कठोर पदार्थ से ढकी रहती है।
5. हालाँकि यह इतना कठोर नहीं होता, जितना कि इनेमल, लेकिन फिर भी डेंटीन बहुत कठोर होता है। दंतमूल के अन्दर, दंतास्थि, सीमेंट (Cementum) के आवरण में सुरक्षित रहती है।
6. दंतास्थि में एक घना, एकरूप आधारद्रव्य होता है, जिसे मेट्रिक्स (Matrix) कहते हैं और उसमें लहरदार तथा शाखाविन्यास संयुक्त दंतनलिकाएँ होती हैं।
7. ये नलिकाएँ एक दूसरे से समानांतर होती हैं और अंदर की ओर दंतमज्जागुहा में खुलती हैं। इनके अंदर दंत तंतु के प्रवर्ध होते हैं।
Tooth in Hindi यह हैं दांत के मुख्य भाग
8. डेंटीन (दंतास्थि) दांत के सबसे अंदरूनी भाग जिसे पल्प या दंतमज्जा कहते हैं, को सुरक्षित रखता है। यह उस खोखले हिस्से में रहती है, जिसे दंतमज्जागुहा कहते हैं। जब आप कोई बहुत गर्म या बहुत ठंडी चीज खाते हैं तो यह पल्प या दंतमज्जा ही होती है जिसे इनसे चोट पहुँचती है।
9. दंतमज्जा के अन्दर स्थित, Nerves आपके Brain को सन्देश पहुँचाती हैं कि आखिर क्या चल रहा है। यह पल्प ही आपके दाँतों को स्वस्थ और मजबूर रखने के लिये जिम्मेदार होती है।
10. दंतमज्जागुहा (कैविटी) में रक्त वाहिनियाँ, लसिकानियाँ तथा तंत्रिकाएँ होती हैं। ये दंतमूल के छोर पर स्थित एक छोटे से छेद से, दाँत में प्रवेश करती हैं।
11. दंतगुहा में जेली जैसी मज्जा भरी होती है। इसमें ढीला संयोजक ऊतक होता है, जिसमें रक्तवाहिका और तंत्रिकाएँ होती हैं।
12. गुहा की दीवार के पास डेंटीन कोशिकाओं की परत होती है और इन्हीं कोशों के तंतु, दंतनलिका में फैले रहते हैं।
13. सीमेंट की रचना हड्डी जैसी होती है, पर इसमें रक्तवाहिनियाँ (Blood Vessels) नहीं होतीं।
Tooth in Hindi ऐसे होता है दाँतों का निर्माण और विकास
14. दाँत एक जीवित वस्तु है, इसलिये इसे पोषण और चेतना की आवश्यकता होती है। तंत्रिकाएँ दाँत को स्पर्शज्ञान की क्षमता प्रदान करती हैं। इनेमल दाँत का सबसे बाहरी, सबसे कठोर और ठोस भाग है। यह दंतशिखर को ढकता है।
15. चर्वणतल पर (सबसे उपर), इसकी परत सबसे मोटी और ग्रीवा के निकट अपेक्षाकृत पतली होती है। इनेमल की रचना षट्कोण प्रिज़्मों से होती है, जो दंतास्थि से समकोण पर स्थित होते हैं।
16. इनेमल में चूने के फॉस्फेट, कार्बोनेट, मैग्नीशियम फास्फेट तथा थोड़ी मात्रा में कैल्शियम क्लोराइड होता हैं।
17. सीमेंट और जबड़े की हड्डी के बीच दंतपर्या स्थित होती है, जो दाँत को बाँधती भी है और गर्त में दाँत के लिये गद्दी का भी काम करती है।
18. सीमेंटम आपके दाँतों की जड़ का निर्माण करता है जो कि जबड़े की हड्डी में द्रढ़ता से जुडी रहती है।
19. दंतास्थि, दंतमज्जा और सीमेंट, मेसोडर्म से बनते हैं, जबकि अन्य भाग एपिडर्म से।
Development of The Human Teeth in Hindi
मानव दांत के विकास से जुड़े अनोखे तथ्य
20. मनुष्य के पूरे जीवनकाल में दांत सिर्फ दो बार निकलते हैं। एक शैशव काल में और दूसरा 7 से 13 वर्ष की आयु में। यह दोनों ही दांत अलग प्रकार के होते हैं। शैशव काल के दांतों को अस्थायी दांत या दूध के दांतों के नाम से जाना जाता है, जबकि बाद में निकलने वाले दांतों को स्थायी दाँत कहते हैं।
21. शिशुओं के दांत 6 मास की आयु से निकलना आरंभ होते हैं और सबसे पहले नीचे के दो दांत निकलते हैं। दांत निकलना बच्चों के लिये एक कष्टदायक अनुभव होता है और इस समय बच्चा चिडचिडा हो जाता है। कुछ मामलों में शिशुओं को दस्त आदि की समस्या भी हो सकती है।
22. दांत, हड्डीयों से नहीं बने होते हैं, बल्कि ये अलग-अलग घनत्व और कठोरता वाले उतकों से बने होते हैं। दाँतों की सुरक्षा और मजबूती के लिये उनकी जड़ें मसूड़ों से ढकी होती हैं।
23. जब मनुष्य पैदा होता है, तब उसके मुख में दांत नहीं होते हैं। हालाँकि कुछ शिशुओं में जन्म के समय एक या दो दांत उपस्थित होते हैं, पर ऐसा अक्सर बहुत कम ही होता है।
24. स्थायी और अस्थायी दाँतों में संरचना की दृष्टि से कोई अंतर नहीं होता है, सिवाय इसके कि अस्थायी दाँत, स्थायी दाँतों की तुलना में छोटे होते हैं।
25. दांतों की जड़ें, उपरी और निचले जबड़े में स्थित रहती हैं और यह मसूड़ों से ढकी रहती हैं।
Teeth in Hindi तेजी से होता है बच्चों के दाँतों का विकास
26. जब बच्चों का पहला दांत टूट जाता है, तब एक के बाद एक, नये दाँतों के जमने का सिलसिला शुरू हो जाता है। ज्यादातर बच्चों के दाँतों का पहला सेट 3 साल की उम्र में तैयार हो जाता है, जिन्हें प्राथमिक दांत (Primary Teeth), बच्चे के दांत (Baby Teeth), या दूध के दांत (Milk Teeth) कहते हैं।
27. इन सबकी कुल संख्या 20 होती है। जब बच्चा 5 या 6 साल का हो जाता है, तो उसके दूध के दांत एक-एक करके गिरने लगते हैं।
28. दूध के दांत इसलिये गिरते हैं, क्योंकि इसके नीचे से स्थायी दांत (Permanent Teeth) निकलना शुरू हो जाते है और धीरे-धीरे यह प्राथमिक दांत का स्थान ले लेते है।
29. 12 से 13 साल की उम्र तक, लगभग सभी बच्चों के सारे दूध के दांत गिर जाते हैं और स्थायी दाँतों का एक नया जोड़ा उन्हें हासिल हो जाता है।
30. स्थायी दाँतों की संख्या 32 होती है, बच्चों के मूल दाँतों के सेट से 12 ज्यादा।