Last Updated on July 10, 2021 by Jivansutra
Complete Pregnancy Care Tips in Hindi for Pregnant Women
अगर व्यवहारिक दृष्टि से देखा जाय, तो किसी भी स्त्री के जीवन के दो क्षण सबसे महत्वपूर्ण कहे जाते हैं। एक तब, जब वह विवाह करके पत्नी बनना स्वीकार कर लेती है और दूसरा तब, जब वह एक नये जीव को उत्पन्न करने के लिये माँ बनने का निश्चय करती है। किसी भी स्त्री के लिये मां बनने की खुशी, संसार की हर खुशी से ज्यादा बढ़कर होती है। जिसके लिये वह असहनीय दर्द और दुःख सहना भी, हँसी-खुशी स्वीकार कर लेती है।
Pregnancy Tips in Hindi गर्भावस्था में ध्यान रखें यह बातें
Pregnancy Tips in Hindi में आज हम उन सभी बातों की विस्तार से चर्चा करेंगे, जिससे स्त्रियों को अपनी इस सबसे बडी खुशी को पूरा करने का मौका मिले। यह तो सभी महिलाऐं जानती हैं कि माँ बनने के लिये प्रेग्नेंट होना अनिवार्य है। लेकिन सिर्फ गर्भवती होने भर से, एक स्वस्थ, बलिष्ठ और एक अच्छे व्यक्तित्व वाले शिशु को पाने की आशा नहीं की जा सकती।
साथ ही, अगर अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान न दिया जाय, तो अपने साथ-साथ, एक दूसरे प्राणी का जीवन और भविष्य भी संकट में पड़ जाता है। इसीलिये Pregnant होने से पहले ही सभी स्त्रियों को एक दूसरे जीव को धरती पर लाने के लिये पूरी योजना बनानी चाहिये। ताकि उनका बच्चा आगे चलकर, न सिर्फ एक सच्चा मनुष्य और अच्छा नागरिक बने, बल्कि वह माता-पिता का गौरव भी बढ़ाये।
क्योंकि जो लोग एक अनगढ़ और बुरे व्यक्तित्व वाली संतान उत्पन्न करते हैं, उनकी न सिर्फ शास्त्रों ने, बल्कि विद्वानों और ज्ञानियों तक ने निंदा की है और ऐसे स्त्री-पुरुष और उसकी संतान को धरती पर बोझ बढ़ाने वाला पशु बताया है। इसीलिये इस लेख में हम एक गुणवान और चरित्रवान संतान को पाने के लिये जरुरी बातों की भी चर्चा करेंगे, क्योंकि इसकी तैयारी Pregnancy से पहले ही होनी चाहिये।
Pregnancy Information in Hindi गर्भावस्था की जानकारी
What is The Pregnancy in Hindi: गर्भावस्था (गर्भ + अवस्था), प्रजनन सम्बन्धी वह अवस्था है, जिसमे स्त्री के गर्भाशय में गर्भ यानि भ्रूण स्थापित हो जाता है और वह निरंतर विकास करने लगता है। गर्भावस्था के कारण ही गर्भ धारण करने वाली स्त्रियों को गर्भवती कहा जाता है। गर्भावस्था की निश्चित अवधि पूर्ण होने जाने पर, स्त्री एक शिशु को जन्म देती है। आम तौर पर यह अवस्था 9 महीने या 270 दिनों की होती है।
लेकिन यह इससे कम या ज्यादा भी हो सकती है। बच्चे का प्रसव करने के पश्चात गर्भावस्था समाप्त हो जाती है और स्त्री माँ कहलाती है। आम तौर पर एक बार में एक ही गर्भ धारण होता है, लेकिन संयोग से कभी-कभी एक बार से ज्यादा भी गर्भधारण हो सकता है। जुडवाँ बच्चों के मामले में इसी स्थिति को मुख्य कारण माना जाता है।
Important Things to Know Before Pregnancy in Hindi
Pregnancy से पहले प्रत्येक स्त्री-पुरुष यह बातें ध्यान रखे
Pregnancy Tips in Hindi: माँ-बाप बनना प्रत्येक विवाहित स्त्री-पुरुष का सपना होता है और अपने इस Dream को पूरा करने के लिये वह हर संभव प्रयास करते हैं। लेकिन ज्यादातर दम्पत्तियों को पता ही नहीं चलता कि कब उनका बच्चा इस दुनिया में आ जाता है। क्योंकि विवाह के बाद का अधिकांश समय, वासनाओं की तृप्ति और रोमांस में ही गुजरता है। इस बीच में कब गर्भ स्थापित हो जाता है, पति-पत्नी दोनों में से किसी को कुछ पता नहीं रहता।
उनकी दृष्टि में शिशु उनके और परिवार की खुशियों को बढ़ाने वाला बस एक ऐसा माध्यम है, जिसकी अदद लालसा, पति के घरवालों, रिश्ते-नातेदारों और पड़ोसियों तक को परेशान करती रही है। शायद हजारों में से कोई एक दम्पत्ति ही इस बारे में गंभीरता से सोचता होगा कि उसे कैसी संतान चाहिये और क्या वह इस धरती पर आने वाले एक जीव को वैसा भविष्य दे सकता है, जिसकी तमन्ना लिये हुए वह यहाँ आ रहा है।
कितने स्त्री-पुरुष इस बारे में तत्परता सोचते होंगे कि इस धरती पर जन्म लेने वाले हर शिशु का जो मूल उद्देश्य है, क्या उसे पूरा करने में उसकी मदद करने लायक क्षमता या व्यक्तित्व उनके पास है। थोडा विचार करने पर इसका जवाब, शायद आप आसानी से जान सकें। यहाँ हम विस्तार से चर्चा करने के बजाय, सिर्फ कुछ बिन्दुओं की मदद से यह बतायेंगे कि प्रेगनेंसी से पहले स्त्री-पुरुष को किन बातों का ध्यान रखना चाहिये।
एक अच्छी संतान पाने हेतु बेहतर योजना बनायें
* आप जिस प्रकार की संतान चाहते हैं, उसके लिये विवाह होते ही तैयारी कर दें। अगर इतना भी न कर सके, तो कम से कम प्रेगनेंसी से पहले इस बारे में जरुर सोचें।
* अपने आस-पास एक बेहतर वातावरण का निर्माण करें, जिसमे अच्छे और बेहतर आदतों वाले लोग शामिल हों। क्योंकि वातावरण का बड़ा गहरा प्रभाव पड़ता है।
* अच्छी संतान पाने के लिये, माता-पिता का खुद का व्यक्तित्व अच्छा होना भी बहुत जरुरी है, इसीलिये अपने व्यक्तित्व को बेहतर बनायें।
* अपने करियर, आर्थिक स्थिति और जीवन के प्रति अपेक्षाओं पर भी जरुर विचार करें, क्योंकि एक शिशु का जन्म इन सबको प्रभावित करता है।
* अगर आप वास्तव में एक अच्छी संतान पाने हेतु संकल्पित हैं, तो इस लेख को विस्तार से अवश्य पढ़ें – अच्छी संतान पाने के लिये प्रत्येक स्त्री-पुरुष यह बातें ध्यान रखे
How A Woman can Get Pregnant in Hindi
Pregnancy Tips: गर्भधारण करने के लिये क्या करना चाहिये
गर्भवती (Pregnant) होने के लिये, स्त्री के अंडाणु का, पुरुष के शुक्राणु से संयोग होना अनिवार्य है और ऐसा करने के लिये प्राकृतिक और कृत्रिम तरीके प्रयोग में लाये जाते हैं। प्राकृतिक और सहज ढंग से गर्भधारण करने के लिये पुरुष और स्त्री का परस्पर सम्भोग करना अत्यंत आवश्यक है। क्योंकि तभी पुरुष, स्त्री की योनि के माध्यम से, अपने शुक्राणुओं को स्त्री के गर्भाशय में डाल सकता है।
इसके बाद शुक्राणु यानि Sperm, गर्भाशय में जाकर, स्त्री के अंडाणु को निषेचित करते है। निषेचन की प्रक्रिया संपन्न होने के बाद ही, भ्रूण स्त्री के गर्भ में स्थापित होता है और फिर एक निश्चित समय के बाद बच्चे का जन्म होता है, आम तौर पर यह समय 40 सप्ताह का माना जाता है।
Pregnancy Tips: प्रेग्नेंट होने के लिये कौन सा तरीका बेहतर है
कृत्रिम रूप से गर्भधारण की प्रक्रिया में, इंट्रायुटराइन इनसेमिनेशन या इन विट्रो फर्टिलाइजेशन के माध्यम से, पुरुष शुक्राणु को स्त्री के गर्भ में डाला जाता है। कृत्रिम विधि, अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा संपन्न की जाती है और इसमें काफी पैसा खर्च होता है। हालाँकि गर्भधारण का प्राकृतिक तरीका निशुल्क और बेहद सरल है।
इसीलिये Pregnant होने के लिये दुनिया भर में 99.9 प्रतिशत लोग यही तरीका इस्तेमाल करते हैं। लेकिन अगर स्त्री पुरुष का यौन स्वास्थ्य बेहतर न हो, तो फिर उन्हें कृत्रिम उपाय का ही सहारा लेना पड़ता है। इसके अलावा प्रेग्नेंट होने के लिये, स्त्रियों को फर्टिलिटी बढ़ाने वाले भोजन का सेवन करना चाहिये और अपने फर्टाइल पीरियड में Husband के साथ लगातार Sexual Relation बनाने चाहिये।
कैसे गर्भवती हों सकती हैं स्त्रियाँ – How to Get Pregnant in Hindi
जल्दी गर्भधारण करने के टिप्स – Fast Pregnancy Conceive Tips in Hindi
Common Symptoms of The Pregnancy in Hindi
Pregnant Women Signs कैसे होते हैं गर्भवती स्त्रियों के लक्षण
गर्भधारण करने के तुरंत पश्चात ही स्त्रियों के शरीर में बदलाव आने शुरू हो जाते हैं और शुरूआती दिनों में वह इतने सूक्ष्म स्तर पर क्रियान्वित होते हैं कि ज्यादातर प्रेग्नेंट औरतों को इनके बारे में पता ही नहीं चलता। आम तौर पर यह बदलाव 10-15 दिन बाद ही नजर आना शुरू होते हैं। हालाँकि कुछ स्त्रियों में यह लक्षण और भी देरी से नजर आ सकते हैं, इसीलिये अपने शरीर का सूक्ष्मता से निरीक्षण करना आवश्यक है।
प्रत्येक स्वस्थ स्त्री को हर महीने, मासिक धर्म यानि माहवारी के दौर से गुजरना पड़ता है, जिसमे उनकी योनि से हल्का रक्त-स्राव होता है। जो कि उनके प्रजनन अंगों को स्वस्थ रखने और उन्हें गर्भधारण की नैसर्गिक क्षमता प्रदान करने हेतु प्रकृति की स्वाभाविक व्यवस्था है। जब तक स्त्री के गर्भाशय में गर्भ स्थापित नहीं होता है, तब तक उन्हें नियमित रूप से माहवारी होती रहती है।
लेकिन गर्भ ठहरने के बाद, मासिक-स्राव होना बंद हो जाता है। इसके साथ-साथ अम्लशूल, दिल के समीप बेचैनी, मितली और उल्टी करने की इच्छा जैसी साधारण स्वास्थ्य समस्याएँ पनपती हैं, जो आम तौर पर गर्भ ठहरने का संकेत होती हैं। क्योंकि गर्भ ठहरने पर शरीर में कई प्रकार के बदलाव आते हैं, जो कि हार्मोन्स में आये बदलाव के कारण उभरते हैं।
Pregnancy Symptoms in Hindi गर्भावस्था के लक्षण
गर्भावस्था में दिखायी देने वाले मुख्य लक्षण इस प्रकार हैं –
* स्तनों में भारीपन और हल्का दर्द रहना।
* बार-बार पेशाब करने की इच्छा होना।
* शरीर के तापमान में परिवर्तन।
* माहवारी बंद होना।
* कुछ विशेष चीजे खाने की इच्छा करना।
* मानसिक दशा में बदलाव।
* अक्सर सिर और पेट में दर्द रहना।
* पेट में ऐंठन और कब्ज रहना।
* कभी-कभी योनिमार्ग से रक्तस्राव होना।
* शरीर में हार्मोन का स्तर बढ़ना।
* निप्पल्स का रंग बदलना।
* थकान बने रहना।
* सूँघने की क्षमता का बढ़ जाना।
* साँस लेने में परेशानी।
* मितली और उबकाई आना।
* उल्टी करने की इच्छा करना।
गर्भावस्था के लक्षणों की सम्पूर्ण जानकारी – Pregnancy Symptoms in Hindi
Pregnancy Test in Hindi for Pregnant Women
Pregnancy Tips से जानें कि आप प्रेग्नेंट है कि नहीं
अगर आपको लगता है कि आपके शरीर में प्रेगनेंसी के लक्षण प्रकट हो रहे हैं, तो Pregnancy की पुष्टि करने के लिये जल्दी से प्रेगनेंसी टेस्ट करें या फिर अपने डॉक्टर से मिलें। मेडिकल साइंस में, गर्भावस्था के आरंभिक लक्षणों को सुनिश्चित करने का एक मात्र रास्ता, प्रेग्नेंसी टेस्ट हैं। अच्छी बात यह है कि प्रेगनेंट स्त्रियाँ खुद यह टेस्ट कर सकती हैं।
लेकिन अगर आप Pregnancy के बारे में 100 प्रतिशत कन्फर्म होना चाहती हैं, तो अपने चिकित्सक की मदद भी लें। आम तौर पर यह सुनिश्चित करने के लिये कि कोई स्त्री Pregnant है या नहीं, यह तीन तरीके प्रयोग में लाये जाते हैं –
1. Pregnancy Test Kit प्रेगनेंसी टेस्ट किट से जाँच
आजकल बाजार में कई तरह की प्रेग्नेंसी टेस्ट किट उपलब्ध हैं, जिनकी मदद से खुद ही गर्भावस्था की जांच की जा सकती है, और वह भी घर पर ही। इस टेस्ट में सुबह के समय के पहले पेशाब की कुछ बूंदे एक जाँच पट्टी पर डालनी होती हैं। जिससे 5-7 मिनट में ही प्रेग्नेंसी के पॉजिटिव या निगेटिव रिजल्टस का पता चल जाता है।
2. Blood and Urine Test रक्त और पेशाब की जाँच
आप Pregnant है या नहीं, इसके लिये डॉक्टर आपके Blood और Urine के टेस्ट कराते हैं, क्योंकि गर्भवती होने पर इनमें बदलाव आ जाता है। चूँकि यह टेस्ट प्रयोगशाला में विशेषज्ञ चिकित्सक की देख-रेख में और एडवांस्ड मशीनों की मदद से किये जाते हैं, इसीलिये यह होम टेस्ट किट से ज्यादा विश्वसनीय होते हैं।
3. Ultrasound Testing अल्ट्रासाउंड मशीन से जाँच
Pregnancy की पुष्टि करने के लिये यह तरीका, सबसे ज्यादा विश्वसनीय है, इसीलिये ज्यादातर लोग इसे ही इस्तेमाल करते हैं। इसमें एक रेडियोलोजिस्ट चिकित्सक, अल्ट्रासाउंड मशीन की मदद से आपके गर्भाशय की विधिवत जाँच करता है। इससे गर्भ में पल रहे भ्रूण की छोटी से छोटी बात भी पकड़ में आ जाती है।
प्रेगनेंसी की जाँच – Pregnancy Test in Hindi
प्रेगनेंसी टेस्ट कितने दिन बाद करना चाहिये – Pregnancy Test Kitne Din Baad Kare in Hindi
घर पर कैसे करें गर्भावस्था की जाँच – Pregnancy Test Kit at Home in Hindi
Development of The Fetus in Pregnancy in Hindi
Pregnancy Tips से जानें कैसे होता है गर्भावस्था में भ्रूण का विकास
आम तौर पर गर्भावस्था (Pregnancy) को तीन-तीन महीनों के हिस्से यानि तिमाही में बाँटा गया है। पहली तिमाही या Trimester में गर्भाधान से लेकर, 12 सप्ताह तक का समय सम्मिलित है। गर्भाधान का तात्पर्य है, जब शुक्राणु, अंडाणु (Ovum) को निषेचित करता है। फिर यह निषेचित अंडाणु फैलोपियन ट्यूब से होते हुए गर्भाशय के अन्दर प्रवेश करता है और इसकी दीवारों से चिपक जाता है।
अब यह अंडा, तेजी से कुछ ही दिनों के अन्दर भ्रूण और गर्भनाल का आकार ले लेता है। ध्यान दीजिये पहले ट्राइमेस्टर के दौरान स्त्री को बहुत सावधानी रखने की आवश्यकता होती है, क्योंकि इसी दौरान गर्भपात का सबसे ज्यादा खतरा (भ्रूण की स्वाभाविक मृत्यु) होता है। दस सप्ताह की गर्भावधि के समय में, भ्रूण तेजी से विकसित होता है।
इसके बाद के चरणों में गर्भपात (Abortion) का खतरा कम हो जाता है। इस चरण में भ्रूण की लंबाई लगभग 30 मिमी (1.2 इंच) होती है और अल्ट्रासाउंड मशीन के माध्यम से दिल की धड़कन और अनैच्छिक गतिविधियों को महसूस किया जा सकता है। पहले चरण में स्थापित हुए भ्रूण की संरचना में, जल्दी ही शारीरिक प्रणालियों का विकास होने लगता है।
Pregnancy in Hindi तीन चरणों की होती है गर्भावस्था
उसके शरीर में Heart, Liver, Kidney, Lungs, Brain, Pancreas और Spine जैसे अंग विकसित होने लगते हैं। रक्त और उसके घटकों का निर्माण होना भी शुरू हो जाता है। इधर भ्रूण का विकास, वजन और उसकी लम्बाई की वृद्धि के रूप में, 9 मास तक निरंतर जारी रहता है। उसके मस्तिष्क में Electrical Activity भी, पाँचवें और छठवें सप्ताह के बीच होनी शुरू हो जाती है।
दूसरे ट्राइमेस्टर की अवधि 13 से 28 सप्ताह तक मानी जाती है और इस दौरान पेट में भ्रूण की गतिबिधियों को आसानी से महसूस किया जा सकता है। इस समय तक भ्रूण का लगभग सम्पूर्ण शारीरिक विकास पूरा हो चूका होता है। यही कारण है कि ऐसे कुछ बच्चे जो आकस्मिक परिस्थितियों के कारण 28 या 30 सप्ताह बाद ही जन्म ले लेते हैं।
उन्हें उच्च गुणवत्ता की चिकित्सीय देखभाल के ज़रिये, गर्भाशय के बाहर, 90% मामलों में जीवित रखा जा सकता हैं। तीसरे ट्राइमेस्टर की अवधि 29 से 40 सप्ताह मानी जाती है और इस समय में भ्रूण के शारीरिक से ज्यादा उसका मानसिक विकास होता है। आगे पढ़ें –
गर्भावस्था में महीने दर महीने होने वाले बदलाव – Pregnancy in Hindi Month by Month
गर्भावस्था में सप्ताह दर सप्ताह होने वाले बदलाव – Pregnancy Week by Week in Hindi
गर्भावस्था के 9वें महीने में ध्यान रखें यह बातें – 9 Month Pregnancy in Hindi
Diet of Pregnant Women in Pregnancy in Hindi
Pregnancy Tips: कैसा होना चाहिये गर्भवती स्त्रियों का आहार
प्रेग्नेंसी की अवस्था में, गर्भवती महिलाओं को सामान्य की तुलना में, कहीं ज़्यादा मात्रा में पोषक तत्व खाने पड़ते है। क्योंकि अब उनके शरीर में एक दूसरा जीव भी पल रहा होता है, जिसके तेजी से निर्मित होते शरीर के लिये पोषक तत्वों से भरपूर आहार की सख्त जरुरत होती है। ज्यादातर प्रेग्नेंट वुमन, जिनमे पहली बार माँ बनने वाली महिलाएँ भी शामिल हैं, अक्सर इन बातों से अनजान ही होती हैं।
इसीलिये उनके जीवनसाथी या उनके परिजनों को उन्हें इस बारे में विशेष रूप से शिक्षित करना चाहिये, ताकि उनके और उनके बच्चे के स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े। इसके लिये कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिये।
Pregnant Women Diet गर्भवती स्त्रियाँ खान-पान पर ध्यान दें
1. Pregnant Women को आयरन और फोलिक एसिड से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिये, ताकि उनके और उनके बच्चे के शरीर में खून की कमी न आये और बच्चे के दिमाग और रीढ़ की हड्डी में होने वाले जन्मजात विकार की संभावना को दूर रखा जा सके।
2. इसके लिये उन्हें हरी पत्तेदार सब्जियों, फलियों, और खट्टे फलो का सेवन करना चाहिये। सर्दियों में गाजर और चुकंदर जरुर खायें।
3. गर्भधारण करते ही प्रेग्नेंट महिलाओं को विटामिन B6 से भरपूर आहार, जिनमे केला, ड्राई फ्रूट्स और साबुत अनाज शामिल हैं, खाने शुरू कर देने चाहियें।
4. प्रेग्नेंट स्त्रियों को फलों का सेवन जरुर करना चाहिये। उन्हें प्रतिदिन कम से कम दो-तीन तरह के फल खाने चाहियें।
5. Pregnancy के शुरूआती दौर में, दूध और दूध से बने उत्पाद जैसे कि मक्खन, दही, घी, और पनीर बहुत फायदेमंद हैं।
6. गर्भवती महिलाओं को अपने भोजन में विटामिन और कैल्शियम की मात्रा का भी जरुर ध्यान रखना चाहिये।
कैसा होना चाहिये गर्भवती स्त्रियों का आहार – Pregnancy Diet Chart in Hindi
Common Health Problems in Pregnancy in Hindi
Pregnancy Tips: गर्भावस्था में स्त्रियों को होने वाली मुख्य समस्याएँ
एक कहावत है कि खुशी जितनी ज्यादा बड़ी होती है, गम भी उतने ज्यादा सहन करने पड़ते हैं। चूँकि किसी भी स्त्री के लिये माँ बनने की खुशी बहुत बड़ी होती है, इसीलिये प्रेगनेंसी में स्त्रियों को कष्ट भी काफी सहने पड़ते हैं और यह कष्ट गर्भधारण करते ही शुरू हो जाते हैं। मुख्य रूप से प्रेगनेंसी की अवस्था में, प्रेग्नेंट स्त्रियों को नीचे दी जा रही मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इन समस्याओं के उपचार के लिये इनसे संबंधित लिंक्स की मदद लें।
1. पेट में दर्द रहने की समस्या से ज्यादातर गर्भवती स्त्रियों को जूझना पड़ता है। क्योंकि गर्भाशय, उदर के निचले हिस्से में ही अवस्थित होता है और यहाँ तेजी से होते भ्रूण के विकास के कारण, पूरे पाचन संस्थान पर दबाव पड़ता है। हालाँकि ऐसा Pregnancy के शुरूआती महीनों के दौरान ही होता है।
2. अगर आहार पर ध्यान न दिया जाय, तो पोषक तत्वों की कमी के कारण प्रेगनेंसी में शरीर में कमजोरी भी आ जाती है। हालाँकि कमजोरी आने के कुछ अन्य कारण भी हो सकते हैं।
3. Pregnancy के दौरान गर्भवती महिलाओं को कमर में दर्द, निचले हिस्से का सुन्न होना और दर्द की तेज लहर का अचानक दौड़ना, जैसी दिक्कतें भी पेश आ सकती हैं।
4. ज्यादातर प्रेग्नेंट स्त्रियों को, गर्भावस्था में ज्यादा ब्लीडिंग होने की समस्या से भी जूझना पड़ता है और यह उनके लिये एक कष्टप्रद अनुभव होता है।
Pregnancy के दौरान इन परेशानियों से जूझती हैं महिलाएं
5. Pregnancy की अवस्था में, स्तनों में दर्द और सूजन उत्पन्न होना आम बात है। इसके उपचार के लिये आप इन उपायों का सहारा ले सकती हैं।
6. Pregnancy के दौरान, गर्भवती स्त्रियों को सिर में दर्द, चक्कर आने और भारीपन बने रहने जैसी समस्याओं से जूझना पड़ सकता है।
7. कभी-कभी प्रेगनेंसी में बुखार भी आ जाता है, उस समय किसी विशेषज्ञ गायनीकोलोजिस्ट के मार्गदर्शन में रहकर चिकित्सा करानी चाहिये।
8. प्रेगनेंसी में अक्सर उल्टियाँ लगने की दिक्कत भी होती हैं और ऐसा गर्भावस्था के शुरूआती चरण में ज्यादा होता है।
9. प्रेगनेंसी में पेडू में अक्सर दर्द हो सकता है, इसके कारण और उपचार के बारे में जानने के लिये पढ़ें।
10. Pregnancy के दौरान कई स्त्रियों को योनि में दर्द की शिकायत भी रहती है।
11. कई गर्भवती स्त्रियों को थायराइड की समस्या से भी जूझना पड़ सकता है।
How to Avoid Unwanted Pregnancy in Hindi
Pregnancy Tips: कैसे बचें अवांछित और अनचाही प्रेगनेंसी से
माँ बनने की इच्छा रखने वाली स्त्रियों के लिये Pregnancy बहुत महत्वपूर्ण है। लेकिन कई बार स्वास्थ्य कारणों, कैरियर या फिर किसी दूसरी वजह से, दंपत्ति, अवांछित प्रेगनेंसी से बचना चाहते हैं। इसके अलावा कई बार पति-पत्नी आवश्यक सावधानियाँ अपनाने के बावजूद भी, जाने-अनजाने में प्रेगनेंसी का शिकार हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में वह Unwanted Pregnancy से बचने के लिये दवाई या फिर दूसरे विकल्पों का सहारा ले सकते हैं।
यहाँ पर हम Birth Control Methods का संक्षिप्त रूप से ही वर्णन करेंगे, जिससे आप Pregnancy की संभावना से बिना डरे, Sex का लुत्फ़ उठा सके और Life में रोमांस को बरकरार रख पायें। पर ध्यान रहे यह तरीके सिर्फ तभी तक काम आते हैं, जब तक कि गर्भाशय में भ्रूण स्थापित नहीं होता।
क्योंकि एक बार अगर स्त्री गर्भवती हो गयी, तो फिर अनचाहे गर्भ से बचने के लिये, उसके लिये गर्भपात (Abortion) ही एकमात्र रास्ता बचता है, जिसे विशेष दवाइयों या सर्जरी से ही हटाया जा सकता है। गर्भवती होने से बचने के लिये, इन उपकरणों और विधियों का इस्तेमाल किया जा सकता है –
Pregnancy Control in Hindi प्रेगनेंसी से बचने के लिये उपाय
* एबॉर्शन पिल्स का इस्तेमाल करके
* मोर्निंग आफ्टर पिल (इमरजेंसी पिल)
* बर्थ कण्ट्रोल इम्प्लांट
* बर्थ कण्ट्रोल पैच
* बर्थ कण्ट्रोल स्पंज
* सर्विकल कैप
* FAM बर्थ कण्ट्रोल
“Pregnancy के दौरान, स्त्रियों के शरीर की एनर्जी डिमांड, काफी बढ़ जाती है और यह नार्मल कंडीशन की तुलना में दो से तीन गुणा ज्यादा हो सकती है।”