Last Updated on February 19, 2022 by Jivansutra
Char Dham Yatra Name in Hindi
भारत एक धर्म प्रधान देश है। धर्म ही इस देश के निवासियों का प्राण है। आज भले ही समय विपरीत हो जाने के कारण भारतीय लोगों की धर्म भावना में कमी आ गयी हो, लेकिन पुरातनकाल से भारत ही संसार को धर्म, सदाचार और कर्तव्यनिष्ठा की शिक्षा देता आ रहा है। यूँ तो भारत में सभी धर्मों के लोग निवास करते हैं, लेकिन सनातन हिन्दू धर्म को मानने वाले लोगों की संख्या यहाँ सबसे ज्यादा है।
चार धाम हिंदुओं के सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक माने जाते हैं, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि जो इनके दर्शन कर लेता है, उसे मोक्ष प्राप्त हो जाता है। अर्थात इस दुखदायी, जीवन-मृत्यु के चक्र से उसे, सदा के लिये छुटकारा मिल जाता है। यही कारण है कि हर साल लाखों लोग इन देवस्थानों के दर्शनों के लिये जाते हैं।
जानिये क्या है आपके 1500 सपनों का असली मतलब – Sapno Ka Matlab in Hindi Jyotish
भारत के चार धामों के नाम
जिस तरह बारह ज्योतिर्लिंगों का सम्बन्ध भगवान शिव से है उसी प्रकार चार धामों का सम्बन्ध भगवान विष्णु से है यह दोनों ही देवता हिन्दूओं के सर्वोच्च इष्ट देव है जो परब्रहा का ही प्रतीक हैं यह चार धाम भारत के चार किनारों पर अलग-अलग दिशाओं में स्थित हैं और इनके पुनरुद्धार का श्रेय, भगवान शंकराचार्य को ही जाता है।
इन धामों के नाम हैं – बद्रीनाथ, द्वारिका, पुरी और रामेश्वरम। आदि शंकराचार्य ने जिन चार धामों का वर्णन किया है, वह यही चार वैष्णव तीर्थ स्थान हैं। कुछ लोगों के मतानुसार उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी और चमोली जिलों में स्थित चार प्रसिद्ध और प्राचीन तीर्थ स्थल, गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ ही चार धाम हैं। पर ऐसा मानना उचित नहीं है, क्योंकि यह मूल चार धाम नहीं हैं।
इन्हें “छोटा चार धाम” या “हिमालय स्थित चार धाम” के नाम से जाना जाता है। इस लेख में हम आपको इन चारों धामों के बारे में संक्षिप्त रूप से बतायेंगे। क्योंकि यह अत्यंत पवित्र माने जाते हैं और प्रत्येक हिन्दू मरने से पहले एक बार इनके दर्शनों की इच्छा जरुर रखता है।
क्यों है हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया का इतना भारी महत्व – Akshaya Tritiya in Hindi
Name of Char Dhams in Hindi
Char Dham 1. बद्रीनाथ धाम
बद्रीनाथ धाम, उत्तराखंड राज्य के चमोली जनपद में स्थित है। यह गढ़वाल की पहाड़ियों में पवित्र अलकनंदा नदी के किनारे पर स्थित है। साल भर बर्फ से ढकी रहने वाली हिमालय पर्वत की चोटियाँ, यहाँ से आसानी से दिखायी देती हैं। यह मंदिर और कस्बा, नर-नारायण नामक दो पर्वत श्रेणियों के बीच स्थित है। यहाँ भगवान श्रीविष्णु के जिस विग्रह की पूजा होती है, उसे मध्य काल में आदि शंकराचार्य ने ही पुनः स्थापित किया था।
बद्रीनाथ धाम भारत की उत्तर दिशा में स्थित है और जगत में मोक्ष धाम के रूप में इसकी प्रसिद्धि है। बद्रीनाथ धाम के कपाट वर्ष में सिर्फ 6 मास के लिये ही खुलते हैं, क्योंकि सर्दियों के मौसम में यहाँ पहुँचने का मार्ग बंद हो जाता है। यहाँ आने का सर्वश्रेष्ठ समय मई से अक्टूबर के बीच की अवधि है, क्योंकि नवम्बर से अप्रैल तक भयंकर शीत के कारण मंदिर बंद रहता है।
Char Dham 2. द्वारिका धाम
गुजरात राज्य के द्वारिका जनपद में स्थित, द्वारिका धाम दूसरा महत्वपूर्ण धाम है। यह धाम भारत के सुदूर पश्चिमी क्षेत्र में, गोमती नदी और अरब सागर के संगम पर स्थित है। इस नगर का सम्बन्ध भगवान श्रीकृष्ण से है जिन्होंने इसे बसाया था और जिनके आदेश पर ही समुद्र ने इसका विध्वंस भी किया था।
चूँकि श्रीकृष्ण, भगवान विष्णु के अवतार थे, इसीलिये यह वैष्णवों का प्रमुख तीर्थ स्थल है। मध्यकाल की प्रसिद्ध नारी संत, भक्तिमती मीराबाई से इस धाम का गहरा सम्बन्ध है, क्योंकि यहीं वह सशरीर भगवान के श्रीविग्रह में लीन हो गयी थी। यह मदिर दर्शनार्थियों के लिये पूरे साल खुला रहता है।
Char Dham 3. जगन्नाथ पुरी धाम
जगन्नाथ पुरी धाम, भारत के पूर्वी छोर पर, उडीसा राज्य के पुरी जिले में स्थित है। यह संसार के कुछ सबसे प्राचीन नगरों में से एक हैं। यहाँ की रथ-यात्रा भारत ही नहीं, बल्कि पूरे संसार में प्रसिद्ध है। हर साल यहाँ लाखों लोग, भगवान के दर्शनों के लिये, दुनिया भर से आते हैं और भगवान के रथ को खींचकर पुण्य के भागी बनते हैं। जगन्नाथ पुरी धाम बहुत ही भव्य और विशाल है।
मंदिर के गर्भ गृह में भगवान कृष्ण, उनके बड़े भाई बलराम और उनकी बहन सुभद्रा की मूर्तियाँ स्थापित हैं। पुरी धाम की वर्तमान महिमा को इतने उच्च स्तर पर प्रतिष्ठित करने का श्रेय भगवान के अनन्य भक्त और महाभागवत श्री चैतन्य महाप्रभु को भी जाता है, जिन्होंने अपने जीवन का अधिकांश समय यही बिताया था और जो मीराबाई की ही तरह भगवान के श्रीविग्रह में सशरीर लीन हो गये थे।
Char Dham Yatra in Hindi
Char Dham 4. रामेश्वरम धाम
रामेश्वरम धाम, भारत के सुदूर दक्षिण भाग में, तमिलनाडु राज्य, में मन्नार की खाड़ी में स्थित है। सभी चार धामों में रामेश्वरम का एक विशिष्ट स्थान है, क्योंकि यह वैष्णवों का प्रमुख तीर्थ होने के साथ-साथ भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से भी एक है। इस कारण से शैव धर्म के अनुयायी भी रामेश्वरम का उतना ही आदर करते हैं जितना कि वैष्णव।
मान्यता है कि यहीं पर भगवान राम ने अपने हाथों से भगवान शिव की बालुका मूर्ति से प्रतिष्ठा की थी और उनके अनुरोध पर वह सदा के लिये यही रह गये थे। रामेश्वरम धाम काफी बड़े क्षेत्र में फैला है और मंदिर की कलाकृति और सौन्दर्य हर किसी को मुग्ध कर देता है। भारत के इन चार धामों से आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित किये गये चार मठों का अभिन्न सम्बन्ध है, जिनका वर्णन हमने शंकराचार्य के चार मठ नामक लेख में किया है।
यह है भारत के बारह ज्योतिर्लिंग जहाँ विराजते है भगवान शिव – Jyotirlinga Name and Place in Hindi
चार धामों की यात्रा का आनंद लें
हमारा आपसे अनुरोध है कि अगर आप घूमने या पर्यटन की योजना बना रहे हैं, तो पहले इन विख्यात देव-स्थानों पर ही जायें। क्योंकि यहाँ के आध्यात्मिक उर्जा क्षेत्र में आकर, न सिर्फ आपके बेचैन मन को शांति मिलेगी, बल्कि भारत की महान संस्कृति को सही प्रकार से समझने का अलभ्य अवसर भी आपको मिल सकेगा और इससे भी बढ़कर देव-दर्शन का पुण्य आपको हासिल होगा।
लेकिन इन चारों धामों पर आपको सतर्कता से रहना चाहिये, क्योंकि दुष्ट प्रवृत्ति के और गलत भावना वाले लोग भी यहाँ पर उपस्थित होते हैं। जो सीधे-सादे तीर्थयात्रियों को मूर्ख बनाकर अपना उल्लू सीधा करते हैं।